Gangaur Vrat 2024 Puja Vidhi: गणगौर पूजा का व्रत हर साल चैत्र माह की तृतीया तिथि को किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां पार्वती और भगवान शिव की उपासना (Lord Shiv) करने से भक्तों को शुभ फल की प्राप्ति होती है।
सुहागिनें पति की दीर्घायु और परिवार के कल्याण के लिए ये व्रत छिपकर करती हैं। आइए जानते हैं गणगौर पूजा (Gangaur Puja 2024) का शुभ मुहूर्त और इसकी कथा क्या है। साथ ही जानेंगे कि गणगौर व्रत में टेशू के पानी () में मां पावर्ती और भगवान शिव की प्रतिमा क्यों देखी जाती है।
गणगौर का अर्थ – Gangaur Vrat 2024
हिन्दू धर्म में गणगौर शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। जिसमें गण का अर्थ होता है भगवान शिव और गौर का अर्थ माता पार्वती है, यानि ये पूजा पूरी तरह मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है।
इन राज्यों में गणगौर सबसे अधिक प्रचलित
हिन्दू धर्म में वैसे तो गणगौर व्रत करने की परंपरा है, लेकिन राजस्थान में इस पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में भी गणगौर पूजा की जाती है।
गणगौर पूजा 2024 मुहूर्त Gangaur Vrat 2024
हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 10 अप्रैल को हो गया है, लेकिन उदया तिथि 11 अप्रैल गुरुवार को होने से ये व्रत आज मनाया जा रहा है। ये तिथि शाम 5:53 तक रहेगे। इस व्रत का गौरी तृतीया भी कहा जाता है।
गणगौर पूजा विधि
गणगौर के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पूजा के लिए माता पार्वती और शंकर जी की मिट्टी की मूर्तियां बनाती हैं। फिर फूलों से माता पावर्ती का श्रृंगार करें।
पूजा में माता पार्वती को सुहाग का पूरा सामान जैसे चूड़ी, बिंदी, महावर, मेहंदी, बिछिया आदि चढ़ाएं। ये पूजा हमेशा पति से छिपा की जाती है। इतना ही नहीं इस पूजा का प्रसाद पति को दिया भी नहीं जाता। समय अभाव के चलते इस व्रत में कुछ महिलाएं बाजार से गणगौर खरीदकर भी उनकी पूजा करती हैं।
गणगौर पूजा का महत्व
मनचाहे वर की व्रत प्राप्ति के लिए कन्याएं इस दिन गणगौर व्रत को रखकर माता गौरी से कामना करती हैं। इससे उनकी मुराद पूरी होती है।
सुहागने इस दिन अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए गणगौर व्रत करती हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन घर में माता पार्वती को जितना गहना बनाकर अर्पण किया जाता है घर में उतना ही धन-धान्य बना रहता है।
पुरुषों को नहीं दिया जाता है प्रसाद
ऐसा माना जाता है कि इस व्रत का प्रसाद पुरूषों को नहीं दिया जाता। इसके पीछे क्या कारण है ये किसी को नहीं पता। गणगौर महिलाओं का त्योहार माना जाता है इसलिए गणगौर पर चढ़ाया हुआ प्रसाद पुरुषों को नहीं दिया जाता है।
गणगौर के पूजन में प्रावधान है कि जो सिन्दूर माता पार्वती को चढ़ाया जाता है। महिलाएं उसे अपनी मांग में सजाती हैं। शाम को शुभ मुहूर्त में गणगौर को पानी पिलाकर किसी पवित्र सरोवर या कुंड आदि में इनका विसर्जन किया जाता है।
क्यों देखते हैं टेशू के पानी में मां पार्वती और शिव की छाया
लाखों वर्ष पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए जंगल में तपस्या की थी। जंगल के फूलों में टेशू के फूलों से रंग बनाकर उसमें अपनी छाया देखी थी।
इस पानी में माता पार्वती को अपनी छाया के साथ-साथ शिवजी का प्रतिबिंब भी दिखा था। तभी से महिलाएं टेशू के फूल के पानी में माता पार्वती और भगवान शिव की छाया यानी प्रतिविंब देखती हैं।
टेशू के रंग में पानी में चेहरा देखने से क्या होता है
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार टेशू के फूल के रंग वाले पानी में माता पार्वती और शिवजी की छाया देखने से जिस तरह माता पार्वती को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है उसी तरह महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।