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Ganga Dushahra:शिव की जटाओं से धरती पर उतरीं थी मां गंगा, जानें क्या है गंगा दशहरे का महत्व

Ganga Dushahra:शिव की जटाओं से धरती पर उतरीं थी मां गंगा, जानें क्या है गंगा दशहरे का महत्व Ganga Dusserha: Mother Ganga had descended on the earth from Shiva's hair, know what is the importance of Ganga Dussehra

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Bansal News
Ganga Dushahra:शिव की जटाओं से धरती पर उतरीं थी मां गंगा, जानें क्या है गंगा दशहरे का महत्व

धर्म। हिंदू धर्म में गंगा को बहुत महत्व दिया गया है। गंगा को पापनाशनी और पतित पावनी भी कहा जाता है। मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से ही मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्रप्ति होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गंगा भगवान शिव की जटाओं में विराजमान है और उनकी जटाओं से होकर ही धरती पर अवतरित होती हैं। गंगा के इसी दर्शन के लिए गंगा दशहरे का पर्व मनाया जाता है। कहा जाता है कि गंगा दशहरे के दिन ही ऋषि भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा स्वयं धरती पर प्रकट हुई थी और ऋषि भागीरथ की मनोकामना पूर्ण की थी। तभी से ही मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त गंगा में डुबकी लगाता है उनके सारे पाप मिट जाते हैं और उसे मोक्ष की प्रप्ति होती है।

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कब मनाया जाता है गंगा दशहरा

गंगा दशहरे का पर्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। वहीं इस साल यह पर्व रविवार 20 जून को मनाया जाना है। हालांकि इस वर्ष दशमी तिथि 19 जून सांयकाल से प्रारंभ हो रही है इसलिए गंगा दशहरे का यह पर्व 19 जून को शाम 6 बजकर 50 मिनट से प्रारम्भ हो कर 20 जून शाम को 4 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी। इस पर्व पर प्रात काल गंगा में स्नान करने की मान्यता है लोग दूर-दूर से गंगा नदी में स्नान करने आते है। लेकिन कोरोना को देखते हुए इस वर्ष गंगा में स्नान पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाया हुआ है। लेकिन श्रद्धालु इस साल गंगा नदी में स्नान संभव न होने पर अपने घर पर ही गंगा जल में पानी मिलाकर स्नान कर सकते है। इससे कोरोना से भी खुद का बचाव किया जा सकता है। इसके साथ ही गंगा दशहरे पर मां गंगा का जांप भी किया जाता है कहा जाता है कि इस दिन मां गंगा का मंत्र - 'ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः' का जाप करने से मां गंगा प्रसन्न होती है और मनुकामना पूर्ण करती हैं।

गंगा दशहरे का महत्व

पौराणिक काल से ही गंगा दशहरे के पर्व को एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन मां गंगा स्वयं धरती पर अवतरित हुई थी और इसी दिन ही एक साथ दस शुभ योगों का निर्माण हुआ था। मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति गंगा में स्नान करता है उसे दस पापों से मुक्ति मिलती है। जैसे झूठा आरोप लगाना, गाली देना, परस्त्री गमन, चोरी करना किसी की चुगली करना, दूसरों को तकलीफ देना, गाली देना इन सभी पापों से गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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