Ganesh Chaturthi 2022 : भगवान गणपति यानी विघनहर्ता, सबके विघन हरने वाले, सिद्धिविनायक जिनके नाम से ही हर शुभ काम की शुरूआत होती है। भगवान गणपति जी (Ganesh Chaturthi 2022) को मोदक बेहद पसंद है। वह हमारी धार्मिक आस्थ का वो केन्द्र हैं जिन्होंने अपने माता-पिता को दुनिया के चारों ओर समेट दिया था। आज से पूरी दुनिया में गणपति उत्सव (Ganesh Chaturthi 2022) की शुरूआत हो चुकी है। जिसका समापन अनंत चतुर्दशी को होगा।
भगवान गणपति जी (Ganesh Chaturthi 2022) के बारे में लगभग सारी बाते सभी को पता है। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान गणपति जी (Ganesh Chaturthi 2022) भी देश की आजादी की लड़ाई में शामिल हुए थे। आजादी की जंग के दौरान ही देशभर में गणपति मनाने की शुरूआत हुई थी। तो आइए बताते है आपको दिलचस्प कहानी…
किसने की थी गणेशोत्सव की शुरूआत
गणेशोत्सव की शुरूआत किसने की थी, इसके लिए हमे इतिहास के पन्नों को उलेटना होगा। गणेशोत्सव (Ganesh Chaturthi 2022) की नींव उस दौर में रखी गई थी, जब देश अपनी आजादी की लड़ाई लड़ रहा था। और इसकी शुरूआत स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की थी। आजादी की लड़ाई के लिए लोगों को एकजुट किया जा रहा था। लोगों को एकजुट करने के लिए धार्मिक रास्ता भी चुना गया, और गणेशोत्सव (Ganesh Chaturthi 2022) की शुरूआत हुई।
पहले पेशवा करते थे गणपति पूजा
महाराष्ट्र में पेशवा पहले से ही गणपति पूजा किया करते थे। ये बात जानते हुए ही बाल गंगाधर तिलक ने इस उत्सव को सिर्फ पेशवाओं के घरों तक सीमित ना कर सार्वजनिक रूप से मनाने का सोचा। इसके बाद सन् 1893 में गणेश उत्सव (Ganesh Chaturthi 2022) धूमधाम से सार्वजनिक रूप में मनाया गया।
गणेशोत्सव का हुआ था विरोध
गणेशोत्सव (Ganesh Chaturthi 2022) की शुरुआत करने के लिए बाल गंगाधर तिलक को काफी विरोध सहना पड़ा था। एक तरफ लाला लाजपत राय, बिपिनचंद्र पाल और अरविंदो घोष ने उनका साथ दिया तो दूसरी तरफ व्योमेशचंद्र बनर्जी, दादाभाई नौरोजी, गोपालकृष्ण गोखले इत्यादि ने उनका विरोध किया। इन नेताओं को डर था कि इस उत्सव के चलते दंगे हो सकते हैं। हालांकि बाल गंगाधर तिलक ने अपने कदम पीछे नहीं खींचे और सार्वजनिक रूप से बेहद जोर-शोर के साथ गणेश उत्सव (Ganesh Chaturthi 2022) मनाया गया।
गणेशोत्सव देख घबरा गए थे अंग्रेज
उस दौर में अंग्रेजों की ओर से सार्वजनिक जगहों पर लोगों के मेल मिलाप, बातचीत करने पर रोक लगा दी गई थी। ऐसे में गणेश उत्सव (Ganesh Chaturthi 2022) लोगों को एकजुट करने के साथ ही सार्वजनिक मीटिंग का भी एक जरिया बना। बताया जाता है कि उस समय गणेशोत्सव ने वर्धा, नागपुर और अमरावती जैसे शहरों में आजादी का एक बड़ा जनआंदोलन छेड़ दिया था। इससे अंग्रेज घबरा भी गए थे। गणेशोत्सव (Ganesh Chaturthi 2022) की शुरूआत भले ही छोटे रूप में की हो लेकिन इससे अंग्रेजों की नींव हिल गई थी। आज भी गणेश उत्सव (Ganesh Chaturthi 2022) देश भर में हर जाति बड़ी धूमधाम से मनाता आ रहा है।