कोलकाता। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने दूध और दुग्ध उत्पादों में मिलावट पर लगाम लगाने की मुहिम के तहत इस महीने राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण शुरू किया है। शीर्ष खाद्य नियामक संस्था के एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
FSSAI के सलाहकार ने ये कहा
एफएसएसएआई सलाहकार (गुणवत्ता आश्वासन) सत्येन के पांडा ने कहा कि यह अभियान अक्टूबर तक जारी रहेगा और नियामक को दिसंबर तक स्वास्थ्य मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपने की उम्मीद है। पांडा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘निगरानी सर्वेक्षण में देशभर के 766 जिलों को शामिल किया जाएगा और 10,000 से अधिक नमूने एकत्र किए जाएंगे। इस उद्देश्य के लिए दो एजेंसियों को जोड़ा गया है।’’
डेयरी विकास बोर्ड FSSAI के लिए करेंगे सर्वेक्षण
उन्होंने कहा कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय ‘क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया’ और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड एफएसएसएआई के लिए सर्वेक्षण करेंगे। पांडा के अनुसार, ‘‘सर्वेक्षण के दायरे में दूध, खोआ, छेना, पनीर, घी, मक्खन, दही और आइसक्रीम जैसे उत्पाद आएंगे। परीक्षण पैरामीटर में मिलावट, सामान्य गुणवत्ता एवं संरचना संबंधी पैमाना, संदूषक, एंटीबायोटिक अवशेष और सूक्ष्मजीवविज्ञान संबंधी संकेतक शामिल हैं।’’
उन्होंने कहा कि दूध को चुनने के पीछे तर्क यह है कि ताजा तरल पदार्थ के रूप में या प्रसंस्कृत डेयरी उत्पाद के रूप में खाद्य संस्कृति में इसकी अपरिहार्य भूमिका होती है। पांडा ने कहा, ‘‘उम्मीद है कि हम दिसंबर तक स्वास्थ्य मंत्रालय को सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर एक रिपोर्ट सौंपेंगे।’’ अधिकारी ने कहा कि अध्ययन का एक उद्देश्य सुधारात्मक कार्रवाई रणनीति तैयार करना है। नियामक ने 2011 से दूध और दूध से बने उत्पादों पर पांच सर्वेक्षण किए हैं।
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