नई दिल्ली। कटी—फटी त्वचा के ट्रीटमेंट के लिए Frog Foam अब सिंथेटिक झाग की जगह मेढ़क का झाग उपयोग किया जा सकेगा। आप ऐसा सुनकर जरूर चौंक रहे होंगे। पर ऐसा हो सकता है। दरअसल हाल ही में रॉयल सोसाइटी ओपन साइंस में प्रकाशित एक अध्ययन में दावा किया गया है कि उभयचरों की चमड़ी (Amphibian Skin) को सिंथेटिक झागों (Synthetic Foams) के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस संबंध सिम्थसनियन मैग्जीन का मत दिया गया है कि जले—कटे स्थानों पर सिंथेटिक झागों द्वारा की गई उपचार प्रक्रिया शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है। वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि प्राकृतिक चमड़े में कुछ ऐसी खूबियां होती हैं जो जली—कटी त्वचा (Skin) के पास पनपने वाले बैक्टीरिया को बढ़ने से रोक सकती हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि त्वचा के इलाज में सिंथेटिक फोम की तुलना में मेढ़क (Frog) का झाग अधिक कारगार साबित हो सकता है। यह बात मेंढक पर हुए अध्ययन से सामने आई है। जिसमें शोधकर्ताओं ने पाया है कि उसके झाग (Frog Foam) में कुछ ऐसी विशेषताएं होती हैं जिससे त्वचा (Skin) पर बैक्टीरिया के पनपने की प्रक्रिया रूक जाती है।
मेढ़कों के झाग की क्या है खासियत
मेढकों का झाग (Frog Foam) एक ऐसा पदार्थ होता है जो उभयचरों के मिलाप के दौरान बनता है। इसे नर Royal Society Open Science resarch टुंगारा मेंढक से निकाला जाता है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह झाग नर मेंढक के वीर्य (Frog Sperm) और मादा के द्वारा निकाले प्रोटीन की सूप का मिश्रण होता है। शोध में पाया गया है कि इस झाग की परत निषेचित होने वाले अंडों को जल्दी से सूखने से रोकता है। जो उसे शिकारी जीवों, पराबैंगनी विकिरणों, चरम तापमान और हानिकारक बैक्टीरिया (Bacteria) के कारण होने वाले नुकसान से बचाती है।
सिंथेटिक झाग का माना जा रहा है विकल्प
इस प्रोजेक्ट को सिंथेटिक झाग (Synthetic Foam) के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। इसे ग्लासगो की स्ट्रैथक्लाइड यूनिवर्सिटी में माइक्रोबिअल बायोकैमिस्ट पॉल होस्किसोन और फार्मास्यूटिकल इंजीनियर दिमित्रोस लैम्प्रोऊ ने साल 2014 में शुरू किया था। इसमें होसकिसोन ने पाया कि मेंढक के झाग (Frog Foam) में बैक्टीरिया (Bacteria) कोलोनाइजेशन को रोकने की क्षमता सिंथेटिक झाग की अपेक्षा अधिक होती है। उनके अनुसार यह खोज एक सुरक्षित और अच्छी दवा देगी। जिसे बिना किसी डर के लगाया जा सकेगा।
सिंथेटिक फोम से बढ़ जाता है संक्रमण का खतरा
बाजार में कई तरह के सिंथेटिक झाग (Synthetic Foam) मौजूद हैं। परंतु इसके ज्यादा उपयोग से साइड इफेक्ट्स का खतरा बना रहता है। अध्ययन के अनुसार सिंथेटिक फोम दवाएं कुछ देर बाद असर करना बंद कर देती हैं। इसेेे लगाने से बार—बार पट्टी खोलने के कारण संक्रमण होने के (Infection) संभावना और बढ़ जाती है।
मेंढक के झाग (Frog Foam) को इलाज के लिए उपयोग लाना आसान नहीं हैं इसमें भी कई चुनौतियां हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि झाग से जानवर बहुत खराब वातावरण में अपने अंडों की रक्षा एक हफ्ते तक कर सकते हैं जो मिलाप के दौरान निलकता है। शोध में बताया गया है कि इस तरह का झाग केवल मेंढक (Frog) ही नहीं निकालते हैं। मेढ़क के अलावा स्पिटलबग इंसेक्टस और सियामीज फाइटिंग मछलियां भी इस तरह के झाग निकला सकती हैं।