Friendship Day 2022 : आज पूरी दुनिया में मित्रता दिवस मनाया जा रहा है। मित्र शब्द दुनिया का सबसे सुंदर शब्द है। क्योंकि मित्र (Friendship Day 2022) ही है जो भले ही हमारी खुशी में शामिल नहीं हो लेकिन हमारे दुखों के पहाड़ा हो उठाने की हिम्मत करता है। जब हम युवा अवस्था से गुजरते है तो हमारे मित्र (Friendship Day 2022) बन जाते है। भले ही यह रिश्ता खून का नहीं होता, लेकिन खून से कम भी नहीं होता। यह रिश्ता लाभ-हानि से परे होता है। आज मित्रता दिवस (Friendship Day 2022) मनाया जा रहा है। और इस मौके पर आज हम आपको देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दो परम मित्रों (Friendship Day 2022) के बारे में बताने जा रहे है। जिनका जिक्र वह कई बार कर चुके है।
गुजरात की धरा पर जन्मे एक गरीब परिवार के बेटे नरेन्द्र मोदी किसी पहचान की मोहताज नहीं है। पीएम मोदी की जीवन यात्रा काफी लंबी रही है। अपनी यात्रा के दौरान उनके कई मित्र बने, लेकिन उनके दो मित्र परम मित्र भी रहे है। नरेंद्र मोदी की बचपन के मित्रों की अगर बात करें तो सबसे पहले अब्बास का नाम आता है। अब्बास के बारे मंे पीएम मोदी खुद बता चुके है। पीएम मोदी ने अपनी मां हीराबेन की 100वी जयंती के मौके पर एक ब्लॉग में अपने मित्र अब्बास का जिक्र किया था।
पीएम मोदी ने ब्लाग में पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा था कि उनकी मां को दूसरे की खुशियों में प्रसन्नता मिलती है। हमारा घर भले ही बहुत छोटा हो लेकिन मेरी मां का हृदय विशाल था। पीएम मोदी ने आगे बताया कि मेरे पिता के एक दोस्त पास के गांव में रहते थे। उनकी मौत हो चुकी थी। मेरे पिता अपने दोस्त के बेटे अब्बास को लेकर घर आए और कहा कि वह हमारे साथ रहेगा। अब्बास हमारे साथ घर में रहते हुए पढ़ाई की। मेरी मां अब्बास की देखभाल ठीक वैसा ही करती थीं जैसा कि वह हमलोगों का करती थीं। हर साल ईद के मौके पर वह उसकी पसंद का पकवान बनाती थीं। अब्बास पीएम मोदी के साथ रहने के बाद क्लास 2 सर्विस से रिटायर हुए थे। बताया जाता है कि आजकल अब्बास अपने बेटे के साथ विदेश में रहते है।
मोदी के दूसरे मित्र अंबालाल
पीएम मोदी के बचपन के दूसरे मित्र हैं अंबालाल, अंबालाल अहमदाबाद के रहने वाले है। अंबालाल का दावा है कि यही एक मात्र व्यक्ति है जिन्होंने नरेंद्र मोदी को रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते हुए देखा है। खबरों के अनुसार अम्बालाल का कहना है कि नरेंद्र मोदी जब 14-15 साल के थे तभी से उनका साथ रहा। उन्होंने कहा, मैं उस समय संघ का स्वयंसेवक और भारतीय जनसंघ में महामंत्री भी था। कैंटीन में हम और नरेंद्र भाई रोजाना चाय पीते थे। उस दौरान नरेंद्र भाई ने मुझसे कहा कि वह भी संघ में काम करना चाहते हैं। फिर मैं उन्हें संघ कार्यालय ले गया और उनसे कहा कि यहां पर आपको सभी काम करने पड़ेंगे। फिर वह हेडगेवार भवन में काम करने लगे। वह कार्यालय के सभी कार्य करते थे। कार्यालय में झाड़ू, बर्तन करने में उन्हें कोई झिझक नहीं हुई। अंबालाल जी कहते हैं कि अहमदाबाद स्थित भाजपा कार्यालय से ही नरेंद्र भाई ने लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा और मुरली मनोहर जोशी की यात्राओं का कार्यक्रम बनाया।
आबे भी रहे गहरे मित्र
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री आबे भी मोदी के अच्छे मित्रों में से एक रहे है। आबे के निधन पर पीएम मोदी ने एक ब्लॉग लिखा था। इस ब्लॉग की शीर्षक उन्होंने दिया, मेरे मित्र शिंजो आबे…। आबे के साथ अपनी मित्रता का जिक्र करते हुए पीएम ने लिखा, शिंजो आबे न सिर्फ जापान की एक महान विभूति थे, बल्कि विशाल व्यक्तित्व के धनी एक वैश्विक राजनेता थे। भारत-जापान की मित्रता के वे बहुत बड़े हिमायती थे। बहुत दुखद है कि अब वे हमारे बीच नहीं हैं। उनके असमय चले जाने से जहां जापान के साथ पूरी दुनिया ने एक बहुत बड़ा विजनरी लीडर खो दिया है, तो वहीं मैंने अपना एक प्रिय दोस्त। आज उनके साथ बिताया हर पल मुझे याद आ रहा है। चाहे वो क्योटो में ‘तोज़ी टेंपल’ की यात्रा हो, शिंकासेन में साथ-साथ सफर का आनंद हो, अहमदाबाद में साबरमती आश्रम जाना हो, काशी में गंगा आरती का आध्यात्मिक अवसर हो या फिर टोक्यो की ‘टी सेरेमनी’, यादगार पलों की ये लिस्ट बहुत लंबी है।