नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन के बाद पूरे देश में शोक की लहर छा गई। पूर्व राष्ट्रपति कुछ दिनों से अस्पताल मेें भर्ती थे जहां उनका इलाज चल रहा था। प्रणव मुखर्जी को गत 10 अगस्त को सेना के रिसर्च एंड रैफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल ने जारी मेडिकल बुलेटिन में कहा गया था कि प्रणव मुखर्जी की हालत में रविवार के बाद से गिरावट दर्ज की गई थी।
With a Heavy Heart , this is to inform you that my father Shri #PranabMukherjee has just passed away inspite of the best efforts of Doctors of RR Hospital & prayers ,duas & prarthanas from people throughout India !
I thank all of You 🙏— Abhijit Mukherjee (@ABHIJIT_LS) August 31, 2020
वेंटीलेटर पर थे
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को फेफड़े में संक्रमण के कारण उनके कुछ अन्य अंगों की कार्यप्रणाली भी प्रभावित हो रही थी। वे लगातार गहरी बेहोशी में और वेंटीलेटर पर थे। आपको बता दें पूर्व राष्ट्रपति के मस्तिष्क में जमे खून के थक्के को हटाने के लिए पिछले दिनों उनका ऑपरेशन किया गया था।
राष्ट्रपति ने ट्वीट कर जताया शोक
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर शोक जताया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर लिखा कि पूर्व राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी के स्वर्गवास के बारे में सुनकर हृदय को आघात पहुंचा। उनका देहावसान एक युग की समाप्ति है। श्री प्रणब मुखर्जी के परिवार, मित्र-जनों और सभी देशवासियों के प्रति मैं गहन शोक-संवेदना व्यक्त करता हूँ।
पूर्व राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी के स्वर्गवास के बारे में सुनकर हृदय को आघात पहुंचा। उनका देहावसान एक युग की समाप्ति है। श्री प्रणब मुखर्जी के परिवार, मित्र-जनों और सभी देशवासियों के प्रति मैं गहन शोक-संवेदना व्यक्त करता हूँ।
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 31, 2020
आधुनिकता का अनूठा संगम था
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लिखा कि सार्वजनिक जीवन में विराट कद हासिल करने वाले प्रणब दा ने भारत माता की सेवा एक संत की तरह की। देश के एक विलक्षण सपूत के चले जाने से समूचा राष्ट्र शोकाकुल है। असाधारण विवेक के धनी, भारत रत्न श्री मुखर्जी के व्यक्तित्व में परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संगम था।
राष्ट्रपति भवन के द्वार जनता के लिए खोल दिए
5 दशक के अपने शानदार सार्वजनिक जीवन में, अनेक उच्च पदों पर आसीन रहते हुए भी वे सदैव जमीन से जुड़े रहे। अपने सौम्य और मिलनसार स्वभाव के कारण राजनीतिक क्षेत्र में वे सर्वप्रिय थे। भारत के प्रथम नागरिक के रूप में, उन्होंने लोगों के साथ जुड़ने और राष्ट्रपति भवन से लोगों की निकटता बढ़ाने के सजग प्रयास किए। उन्होंने राष्ट्रपति भवन के द्वार जनता के लिए खोल दिए। राष्ट्रपति के लिए ‘महामहिम’ शब्द का प्रचलन समाप्त करने का उनका निर्णय ऐतिहासिक है।