Bhopal: पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने खुद को ‘राजा साहब’ कहने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि मुझे राजा- राजा कहना बंद कर दो। दिग्विजय कहो या दिग्विजय जी कहो। उन्होंने कहा कि चीन और रूस की तरह भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिक्टेटरशिप चलाना चाहते हैं।
दिग्विजय सिंह 19 मार्च की रात को भोपाल के रविंद्र भवन में आयोजित यूथ कॉन्फ्रेंस में बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुए। यूथ सम्मेलन में मंच संचालक और दूसरे वक्ता दिग्विजय को ‘राजा साहब’ कहकर संबोधित कर रहे थे। जैसे ही, दिग्विजय सिंह के बोलने का नंबर आया। उन्होंने शुरुआत में ही कहा कि लोकतंत्र राजशाही में नहीं होता, लोकतंत्र जनता के राज में होता है, इसलिए जब बार-बार वक्ता मुझे राजा कह रहे थे, इसमें आपत्ति है। मैं राजशाही का प्रतीक नहीं लोकतंत्र का प्रतीक हूं।
लोकतंत्र के साथ भारतीय संविधान भी खतरे में
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह राजधानी भोपाल कहा कि अनेकों उदाहरण हैं, जब नरेन्द्र मोदी ने विदेशों में जाकर पूर्व की सरकारों के खिलाफ भाषण दिया। हमने तो कभी नहीं कहा कि माफी मांगिए, लेकिन अडाणी का प्रकरण संसद में चर्चा न हो, इसलिए सदन न चलने दो, माफी मांगो। जब वे सदन में अपनी बात कहने पहुंचे, तो माइक ऑफ कर दिया। सदन स्थगित कर दिया गया। इनको न तो लोकतंत्र में भरोसा है और न ही भारतीय संविधान में भरोसा है। ये एक तंत्र के हिमायती हैं। देश में लोकतंत्र के नाम पर डिक्टेटरशिप चलाई जा रही है। । आज लोकतंत्र ही नहीं, बल्कि भारतीय संविधान भी खतरे में है।
नियुक्तियां नहीं हो रहीं
दिग्विजय ने रविंद्र भवन में आयोजित यूथ कॉन्फ्रेंस में कहा- बैकलॉग के पद खाली पड़े हैं। नियुक्तियां नहीं हो रहीं। हमने अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों को जो पट्टे दिए थे, वह निरस्त कर दिए गए। आदिवासियों की जमीन बेचने का जो प्रावधान है उसमें कलेक्टर की परमिशन आवश्यक है, लेकिन हकीकत में भाजपा के राज में सबसे ज्यादा आदिवासियों की जमीन बिकी हैं। दिग्विजय ने उदाहरण देते हुए कहा- पन्ना में भाजपा नेता ने आदिवासी की जमीन 90 लाख रुपए में खरीदी। रजिस्ट्री हो गई।