मतभेदों को भुलाकर कोरोना टीके की सुगम उपलब्धता के लिये साथ आयीं सीरम इंस्टीट्यूट, भारत बायोटेक -

मतभेदों को भुलाकर कोरोना टीके की सुगम उपलब्धता के लिये साथ आयीं सीरम इंस्टीट्यूट, भारत बायोटेक

हैदराबाद, पांच जनवरी (भाषा) कोरोना टीका बनाने वाली देश की दो प्रमुख कंपनियों सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) और भारत बायोटेक ने मंगलवार को आपसी मतभेदों को भुलाकर टीके की सुगम उपलब्धता सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता जताई है। दोनों कंपनियों ने कहा कि वे भारत तथा विश्व स्तर पर कोविड-19 टीकों के विकास, विनिर्माण तथा आपूर्ति के लिये मिलकर काम करेंगी।

इससे एक दिन पहले भारत बायोटेक ने सीरम इंस्टीट्यूट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अदार पूनावाला की ‘कुछ टीकों को पानी जैसा’ बताने वाली टिप्पणी को लेकर कड़ी आलोचना की थी।

दोनों कंपनियों ने अपने-अपने ट्विटर खाते पर जारी एक संयुक्त बयान में कोविड-19 टीके के विकास, विनिर्माण व आपूर्ति के साझे उद्देश्य की प्रतिबद्धता जाहिर की।

एसआईआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अदार पूनावाला और भारत बायोटेक

के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक कृष्णा एल्ला ने संयुक्त बयान में कहा कि वे भारत समेत दुनिया

के लिये कोविड-19 टीकों के विकास, विनिर्माण तथा आपूर्ति के अपने संयुक्त इरादे के साथ काम करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

उन्होंने कहा कि उनके सामने सबसे महत्वपूर्ण कार्य टीके की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुये भारत और विश्व स्तर पर जीवन व आजीविका को बचाना है।

टीका सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी वैश्विक वस्तु हैं। उनमें जीवन को बचाने और जल्द से जल्द आर्थिक पुनरुद्धार को तेज करने की शक्ति है। भारत में दो टीके के आपात उपयोग की मंजूरी मिल चुकी है। ऐसे में अब ध्यान इसके विनिर्माण, आपूर्ति व वितरण पर है कि आबादी के जिस हिस्से को इसकी सबसे अधिक जरूरत है, उसे उच्च गुणवत्तायुक्त, सुरक्षित व प्रभावी तरीके से टीका मिले।

डीसीजीआई ने रविवार को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के कोविशील्ड और भारत बायोटेक के कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी प्रदान कर दी है।

दोनों ने कहा, ‘‘हमारी दोनों कंपनियां इस गतिविधि में पूरी तरह से लगी हुई हैं और देश व दुनिया में बड़े पैमाने पर टीके को उतारने को सुनिश्चित करने को अपना कर्तव्य मानती हैं।’’

पूनावाला ने एक टिप्पणी में फाइजर, मॉडर्ना और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के अलावा अन्य सभी टीकों को पानी बराबर करार दिया था। कृष्णा एल्ला ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में इस टिप्पणी के लिये पूनावाला को आड़े हाथों लिया था।

एल्ला ने कहा था, ‘‘हम 200 प्रतिशत ईमानदार नैदानिक परीक्षण (क्लीनिकल ट्रायल) करते हैं और इसके बाद भी हमें निशाना बनाया जाता है। यदि मैं गलत हूं तो मुझे बताइये। कुछ कंपनियों ने मुझे पानी जैसा बताया है।’’

पूनावाला ने इसके बाद मंगलवार को ट्वीट किया कि भारत बायोटेक के संबंध में गलतफहमी को स्पष्ट करने के लिये एक बयान जारी किया जायेगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं दो मुद्दों को स्पष्ट करना चाहता हूं। लोगों के बीच इस बात को लेकर भ्रम की स्थिति है कि टीके का सभी देशों को निर्यात करने की मंजूरी है और एक संयुक्त सार्वजनिक बयान जारी किया जायेगा जिसमें भारत बायोटेक के बारे में हाल में जो गलतफहमी वाला संदेश है उसे स्पष्ट किया जायेगा।’’

उल्लेखनीय है कि भारत बायोटेक के कोवैक्सीन का अभी तीसरे चरण का चिकित्सकीय परीक्षण चल रहा है, जिसमें देश भर के 24 हजार स्वयंसेवक भाग ले रहे हैं।

भाषा

सुमन महाबीर पाण्डेय

महाबीर

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