जबलपुर। Rajma Farming: मेरा देश बदल रहा है, प्रदेश बदल रहा है..और किसानों की सोच बदल रही है दरअसल, जबलपुर के पास दाल, गेहूं, मूंग, से हटकर विविधीकरण की खेती करने में जुट गए हैं। संस्कारधानी के शहपुरा के एक किसान ने राजमा की खेती की शुरुवात की है।
राजमा की खेती करना वाला जबलपुर अब प्रदेश में दूसरा संभाग भी बन गया है, इससे पहले मालवा अंचल में ही राजमा की खेती पिछले दो साल से हो रही थी, इस खेती में किसानों को अच्छा लाभ भी हो रहा है।
राजमा की खेती
शहपुरा के किसान ऋषिराज गोटिया ने अपनी ढाई एकड़ जमीन पर राजमा की खेती की है। वही किसान का कहना है कि राजमा की फसल 90 से 100 दिन के भीतर तैयार हो जाएगी। दरअसल राजमा की खेती में किसानों को मेहनत कम और लागत भी कम लगती है।
किसान ऋषिराज का प्रयोग
कुछ दिन पहले ऋषिराज घूमने के लिए नीमच और खरगौन गए, वहां उन्होंने देखा कि यहां के किसान गेहूं,धान की फसल न करते हुए राजमा की खेती कर रहें है। किसान ऋषिराज को यह खेती भा गई, उनके भांजे सुनील शर्मा ने में भी उन्हे सलाह दी कि राजमा की खेती आप भी करें।
मटर की फसल में झेला नुकसान
जबलपुर संभाग में इससे पहले किसी ने भी राजमा की खेती नहीं की थी, किसान ऋषिराज को भी डर था कि कहीं राजमा की खेती नुकसानदायक साबित न हो जाए। बीते दो सालों से मटर की फसल का अच्छा दाम नहीं मिला और नुकसान भी हुआ।
राजमा लगाने वाले किसानों से मिले थे ऋषिराज
वहीं किसान ऋषिराज ने एक माह तक खरगोन-नीमच में घूमा, वहां के किसानों से मुलाकात कर की राजमा की खेती के बारे मे समझे। ऋषिराज गोटिया को मालवा के किसानों ने बताया कि राजमा की खेती के दाम बहुत अच्छे है, साथ ही पानी भी राजमा को बहुत कम लगता है। किसानों के साथ रहकर समझा कि ये लाभ का धंधा है।
35 हजार प्रति क्विंटल खरीदा बीज
ऋषिराज ने 35 हजार रुपए प्रति क्विंटल में बीज खरीदा है। उन्होंने बताया कि गेहूं,धान,मटर या फिर अन्य दलहन फसल की अपेक्षा इसमें पानी कम लगता है, साथ ही इसका रखरखाव भी आसान है। राजमा की फसल को कीड़ों से बचाते हुए दो साल तक स्टोर किया जा सकता है। एक एकड़ में 6 से 12 क्विंटल तक राजमा की पैदावार हो सकती है।
जबलपुर जिले में पहली बार शहपुरा के किसान ऋषिराज ने राजमा की खेती शुरू की है। जैसे-जैसे अन्य किसानों को यह जानकारी लग रही है वैसे-वैसे किसान ऋषिराज के पास आ रहे है और राजमा की खेती के बारे में जानकारी ले रहे है।