First Toilet in Indian Railways: जैसा कि, सब जानते है भारतीय रेलवे अपने यात्रियों को कई प्रकार की सुविधाएं देती रहती है जहां पर ट्रेनों के सफर में खाने से लेकर टॉयलेट की सुविधा यात्रियों को बड़ी आसानी से मिलती है क्या आपने कभी सोचा है ट्रेनों में क्या पहले से शौचालय की सुविधा होती थी या फिर यात्रियों को करना पड़ता था रेलवे स्टेशन के टॉयलेट्स का प्रयोग। इसके पीछे एक कहानी है यों कहे भारतीय ट्रेनों में शौचालय की एंट्री।
1853 में बिल्कुल अलग था भारतीय रेलवे
जैसा कि,आप जानते है भारतीय रेलवे का इतिहास लगभग 168 साल पुराना है इतने सालों में आपको पहले वाले भारतीय रेलवे की झलक अलग नजर आती है यहां पर उस दौर में ट्रेनों में टॉयलेट की सुविधा नहीं हुआ करती थी? तो यात्री इस परेशानी होते थे। इतिहास की मानें तो, लगभग 55 साल तक भारतीय रेल बिना शौचालय के ही पटरियों पर दौड़ती थी। जहां पर यात्रियों की दिक्कतों को सुकून 1909 में मिला जब भारतीय रेल ने ट्रेनों में यात्रियों के लिए टॉयलेट की सुविधा दी। इसकी कहानी सुनाते है कि, एक बार की बात है, ओखिल चंद्र सेन नाम के व्यक्ति ट्रेन से सफर कर रहे थे और उन्हे टॉयलेट जाना था. जब उनकी ट्रेन स्टेशन पर रुकी तो टॉयलेट चले गए और इस दौरान उनकी ट्रेन छूट गई. इस घटनाक्रम के बाद ओखिल चंद्र सेन ने पंश्चिम बंगाल के साबिहगंज मंडल कार्यालय को एक पत्र लिखा. जिसमें उन्होंने ट्रेनों में शौचालय बनाए जाने का अनुरोध किया. जिसके बाद इस मामले को संज्ञान में लिया गया और रेलवे के अधिकारियों ने 50 मील से ज्यादा दूरी तय करने वाली ट्रेनों में शौचायल बनाने की कवायद शुरू की।
म्यूजियम में सजा है टॉयलेट की सिफारिश का लेटर
आपको बताते चलें कि, भारतीय रेलवे में टॉयलेट आने की कहानी तो आपको पता चल गई आज भी दिल्ली के रेलवे म्यूजियम में रखा हुआ है। यहां पर अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारतीय रेल दुनिया का सबसे चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, जिसमें रोजाना लाखों लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाता है।यह देश की अर्थव्यवस्था में रीढ़ की तरह काम करता है. भारतीय रेलवे भी यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर इसमें बदलवा करता रहता है।