BHOPAL: भारत की मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर को लेकर अक्सर वरोध होता रहता है। ऐसा आरोप लगाया जाता है कि अजान के दौरान इन लाउडस्पीकर्स के इस्तेमाल से शांति भंग होती है। वहीं भारत में अब इस मुद्दे को लेकर बीजेपी मुखर है।और इस मुखरता के चलते यूपी में देखा गया है कि, हाल ही में बीजेपी सरकार ने कई मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटवाए थे। खैर ये बहस का मुद्दा है। चलता रहा है और लगता है कि चलता रहेगा। लेकिन विवाद से दूर हम आपको जानकारी बढ़ाने वाली बात बताते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि, किस मस्जिद में सबसे पहले लाउडस्पीकर से नमाज हुई थी।
पहली मस्जिद जहां हुई थी लाउडस्पीकर से अजान
एक किताब है जिसे ब्रायन विंटर्स ने लिखा है इस किताब का नाम है The Bishop, the Mullah, and the Smartphone: The Journey of Two Religions into the Digital Age इसके मुताबिक दुनिया में पहली बार अजान के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल सिंगापुर की सुल्तान मस्जिद में किया गया था। और ये बात है करीब 1936 के आस-पास की।तब इस खबर को वहां के अखबारों ने छापा था कि “लाउडस्पीकर से अजान की आवाज 1 मील तक जा सकेगी।”
सुल्तान मस्जिद तब और अब
अब आपको उस मस्जिद के बारे में थोड़ा विस्तार से बताते हैं।जहां पहली नमाज हुई थी।आपको बता दें सिंगापुर की सुल्तान मस्जिद या मस्जिद सुल्तान यहां के रोशोर जिले में मौजूद है।और इसका ये नाम यहां के सुल्तान हुसैन शाह के नाम पर पड़ा।सिंगापुर की आजादी के बाद यहां कि सरकार द्वारा 1975 में इस मस्जिद को देश का राष्ट्रीय स्मारक भी घोषित किया गया।लेकिन इस मस्जिद की एक चौंकाने वाली बात है कि इस मस्जिद को बनाने की शुरुआत तो 19वीं सदी में ही की जा चुकी थी। लेकिन इसका निर्माण कार्य 1932 में पूरा हुआ था।
खबर पढ़ने के बाद ये बहस में आप न पड़ जाना कि तब क्या लाउडस्पीकर की खोज हो चुकी थी? जी हां तब लाउडस्पीकर की खोज हो चुकी थी।उम्मीद है ये जानकारी आपको पसंद आई होगी इसको शेयर करना भूलें।धन्यवाद
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