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FIR On Nirmala Sitaraman: जबरन वसूली के मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर होगी FIR, कोर्ट ने दिया आदेश

FIR Against Nirmala Sitharaman: जबरन वसूली के मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर होगी FIR, कोर्ट ने दिया आदेश

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Rohit Sahu
FIR On Nirmala Sitaraman: जबरन वसूली के मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर होगी FIR, कोर्ट ने दिया आदेश

FIR Against Nirmala Sitharaman: जबरन वसूली के मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर FIR दर्ज होगी। बेंगलुरू की एक कोर्ट ने आदेश जारी किए हैं. उनपर चुनावी बॉन्ड के नाम पर वसूली के आरोप हैं। मामला दर्ज करने का आदेश बेंगलुरु की पीपुल्स रिप्रेजेंटेटिव कोर्ट ने दिया है। जनाधिकार संघर्ष परिषद (जेएसपी) के सह-अध्यक्ष आदर्श अय्यर ने बेंगलुरु की अदालत में शिकायत दर्ज कर केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी। इस याचिका में ईडी के अधिकारियों, BJP राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कर्नाटक के तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष नलिन कुमार कटील, बी वाई विजयेंद्र के खिलाफ शिकायत की गई थी। मामले में अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी।

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अप्रैल 2024 में दर्ज हुई थी याचिका

जनाधिकार संघर्ष परिषद ने अप्रैल 2024 में 42वीं एसीएमएम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, ईडी अधिकारियों, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं, तत्कालीन भाजपा कर्नाटक अध्यक्ष नलिन कुमार कटील, बी वाई विजयेंद्र के खिलाफ शिकायत की गई थी। कोर्ट ने शिकायत पर विचार करने के बाद बेंगलुरु की तिलक नगर पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैें। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता बालन ने दलीलें रखीं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 10 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

चुनावी बॉन्ड के नाम पर वसूली के आरोप

याचिकाकर्ता आदर्श अय्यर की तरफ से उनके वकील बालन ने दलील रखते हुए कोर्ट को बताया की निर्मला सीतारमण ने चुनावी बॉन्ड के नाम पर जबरन वसूली की है। अप्रैल 2019 से अगस्त 2022 तक व्यवसायी अनिल अग्रवाल की फर्म से लगभग 230 करोड़ रुपए और अरबिंदो फार्मेसी से 49 करोड़ रुपए चुनावी बाॅन्ड के जरिए वसूले गए हैं।

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SC ने चुनावी बॉन्ड योजना को बताया था असंवैधानिक

केंद्र ने 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना शुरू की थी और इसका उद्देश्य राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद दान की जगह लेना था, ताकि राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता में सुधार हो सके. चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को फंड दिया जाता था लेकिन इसका खुलासा नहीं किया जाता था. हालांकि बाद में विपक्ष के आरोपोंऔर दायर याचिका के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था। हालांकि चुनाव के ठीक पहले वित्त मंत्री ने योजना को संशोधित कर फिर वापस लाने की बात कही थी।

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