हाइलाइट्स
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ज्योत्सना महंत और सरोज पांडेय के बीच मुकाबला
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साल 2009 में अस्तित्व में आई कोरबा लोकसभा सीट
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कोरबा लोकसभा क्षेत्र में आते हैं कुल 8 विधानसभा क्षेत्र
Korba Lok Sabha Seat: कोरबा लोकसभा सीट साल 2009 में अस्तित्व में आई. यहां तीन बार आम चुनाव हो चुके हैं. अब 2024 में चौथी बार लोकसभा का चुनाव होना है. इस सीट पर दो बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी को मौका मिलता रहा है. परिसीमन के बाद पहले चुनाव से ही इस सियासी परपंरा की शुरूआत शुरू हो गई. इस बार कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों ने महिला नेत्रियां प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. दोनों के बीच मुकाबला बेहद रोचक हो गया है. कांग्रेस से ज्योत्सना महंत और बीजेपी से सरोज पांडेय आमने-सामने हैं. लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में 7 मई को इस सीट पर वोटिंग होनी है.
दो बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी को मिला मौका
कोरबा लोकसभा सीट जांजगीर लोकसभा सीट से अलग होकर साल 2009 में अस्तित्व में आई थी. जिसके बाद पहली बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता डॉ. चरण दास महंत ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने बीजेपी की प्रत्याशी करुणा शुक्ला को हराया था. इसके बाद साल 2014 के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने डॉ. महंत को ही अपना प्रत्याशी बनाया. इस बार बीजेपी के प्रत्याशी डॉ. बंशीलाल महतो ने उन्हें हार का मुंह दिखाया. उस समय कोरबा लोकसभा की आठ सीटों में से चार पर बीजेपी और चार पर कांग्रेस का कब्जा था.
इसके बाद साल 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने डॉ. चरण दास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत को मैदान में उतारा. तब डॉ. महंत विधानसभा अध्यक्ष बन चुके थे. तो वहीं इस बार बीजेपी ने एक बार फिर यहां से नया चेहरा उतारते हुए ज्योतिनंद दुबे को उम्मीदवार बनाया. लेकिन इस बार बीजेपी को यहां से शिकस्त मिली और ज्योत्सना महंत सांसद बन गईं. इस समय यहां की आठ विधानसभा सीट में 6 पर कांग्रेस, एक पर बीजेपी और एक पर जनता कांग्रेस जोगी का कब्जा था.
”दीदी” और ”भाभी” के बीच मुकाबला
अब 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से सरोज पांडेय मैदान में हैं. सरोज इसके पहले दुर्ग नगर निगम की महापौर, विधायक और सांसद रहीं हैं. बीजेपी में जहां सरोज को सम्मान के साथ ”दीदी” पुकारा जाता है. तो वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत की धर्मपत्नी होने के नाते ज्योत्सना महंत को कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ता सम्मान के रूप में ”भाभी” पुकारते हैं.
2019 में ज्योत्सना महंत को कांग्रेस के गढ़ कहे जाने वाला अकेले पाली-तानाखार विधानसभा से 68 हजार की लीड मिली और उनकी जीत की राह सुनिश्चित हुई. लेकिन इस बार परिस्थितियां कुछ अलग हैं. आठ में 6 पर बीजेपी, एक में कांग्रेस और एक में गोंड़वाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) के विधायक हैं. ऐसे में इस लोकसभा की तासीर और परंपरा इस बार भी कायम रहे, तो कोई बड़ी बात नहीं.
अनुसूचित जाति वर्ग के 44.5 फीसदी वोटर्स
कोरबा लोकसभा क्षेत्र में कुल 8 विधानसभा क्षेत्र में चार कोरबा, रामपुर, कटघोरा और पाली-तानाखार विधानसभा, तो वहीं अविभाजित कोरिया जिले के 3 भरतपुर-सोनहत, मनेन्द्रगढ़ और बैकुंठपुर, साथ ही गौरेला- पेंड्रा- मरवाही जिले की मरवाही विधानसभा सीट आती है. इस लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति वर्ग के 44.5 फीसदी वोटर्स हैं. अनुसूचित जाति के 9.2 प्रतिशत, मुस्लिम वोटर 3.5 प्रतिशत और शेष मतदाता सामान्य वर्ग और ओबीसी वर्ग से हैं. यहां की साक्षरता दर 61.16 फीसदी है और 15 लाख 99 हजार 188 मतदाता हैं.
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