LIC-Mundhra Scam : फिरोज गांधी के बारे में कौन नहीं जानता। फिरोज गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति थे। फिरोज गांधी एक राजनेता ही नहीं बल्कि वह स्वतंत्रता सेनानी और एक अच्छे पत्रकार थे। द नेशनल हेराल्ड और द नवजीवन अखबार उन्होंने ही प्रकाशित किए थे। वह लोकसभा में सदस्य के रूप में कार्य कर चुके है।
कौन थे फ़िरोज़ गांधी?
फ़िरोज़ गांधी का जन्म 12 सितंबर, 1912 को मुंबई में एक पारसी परिवार में हुआ था। उनका असली नाम फ़िरोज़ जहांगीर घांडी था। गांधी परिवार से जुड़ने से पहले फ़िरोज़ गांधी आजादी की लड़ाई के दौरान कई बार जेल भी गए। फिरोज गांधी को देश का सबसे बड़ा खोजी सांसद भी माना जाता है। साल 1930 में फिरोज गांधी को 19 महीने फैजाबाद की जेल में लाल बहादुर शास्त्री के साथ कैद किया गया था। इसके बाद से वह गांधी परिवार के नजदीक आ गए और उन्होंने इंदिरा गांधी की मां कमला नेहरू को इंदिरा गांधी से शादी करने का प्रस्ताव दिया। लेकिन उस समय इंदिरा गांधी 16 साल की थी इसलिए उन्होंने उनका प्रस्ताव टाल दिया। इसके बाद साल 1936 में जब कमला नेहरू का निधन हुआ तो फ़िरोज़ और इंदिर की करीबी बढ़ गई। इसके बाद दोनों ने साल 1942 में हिंदू रीति-रिवाजों से शादी कर ली।
नेहरू ने किया था शादी का विरोध
जवाहरलाल नेहरू ने ‘इंदिरा-फ़िरोज़’ की शादी का विरोध किया था। लेकिन महात्मा गांधी ने नेहरू को मना लिया था। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इंदिरा-फ़िरोज़ को गिरफ़्तार कर जेल में डाल दिया गया था। जेल से निकलने के बाद दोनों ने देश की राजनीति में कदम रखने की तैयारी करने लगे। फ़िरोज़ गांधी को जीवन बीमा का राष्ट्रीयकरण और संसद की कार्यवाही की रिपोर्ट करने पर मीडिया को मानहानि और मानहानि के मुकदमों से बचाने के लिए बने क़ानून को लाने के लिए भी जाना जाता है।
LIC Scam का किया पर्दाफ़ाश
राजनीति में आने के बाद फ़िरोज़ गांधी ने साल सन 1952 में यूपी की रायबरेली से पहला आम चुनाव जीता। इसके बाद वह लगातार रायबरेली से चुनाव जीतते गए। इस दौरान उन्होंने संसद में LIC-Mundhra Scam को उठाया। संसद में उन्होनें मामले को लेकर इतना तेजी से विरोध किया की नेहरू की छवि पर असर पड़ने लगा। दरअसल, मामला यह था कि LIC ने भारी मात्रा में कांग्रेस के क़रीबी उद्योगपति हरिदास मुंध्रा के स्वामित्व वाली कंपनियों के शेयरों को ख़रीदा है। इस बात ने उन्हें संसद के प्रश्नकाल के दौरान हस्तक्षेप करने और एक बहस के लिए प्रेरित किया। बता दें कि एलआईसी घोटाल से सरकार को करोड़ों का नुकसार हुआ था। फिरोज गांधी नेहरू सरकार को बेनकाब करने के लिए मुंद्रा की कंपनियों के शेयर की क़ीमतों पर नज़र रखे हुये थे।
दिल का दौरा पड़ने से हुआ फिरोज गांधी का निधन
फ़िरोज़ गांधी के इस कदम से जवाहरलाल नेहरू को घोटाले की जांच के लिए आयोग का गठन करना पड़ा। जांच में आयोग ने वित्त मंत्री टी. टी. कृष्णामाचारी को जिम्मेदार ठहराया। जिसके बाद टी. टी. कृष्णामाचारी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। फिरोज इतना ही नहीं रूके वह अन्य मुद्दों पर भी सरकार को घेरते रहे। लेकिन 8 सितंबर 1960 को दिल का दौरा पड़ने से फ़िरोज़ गांधी का निधन हो गया।