World Elder Abuse Awareness Day: आज के समय जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बड़ रही है. हर हाथ में स्मार्टफोन और सोशल मीडिया पर हजारों लोगों से कनेक्टेड होने के बाद भी अकेलापन बढ़ता जा रहा है. हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि इसका सबसे ज्यादा असर बुजुर्ग वर्ग पर पड़ रहा है.
कई परिवारों में बुजुर्गों के पास आर्थिक सुरक्षा न होने के कारण उन्हें बच्चों द्वारा वृद्धाश्रम में भेज दिया जाता है. तो वहीँ दूसरी ओर संपन्न परिवार में धन दौलत से संपन्न होने के बावजूद अपने बुजुर्ग माँ-बाप को बच्चे समय नहीं दे पाते हैं.
जिसकी वजह से ऐसे बुजुर्गों को वृद्धाश्रम का सहर लेना पड़ता है. ऐसे में देश में वृद्धाश्रम की संख्या बढ़ रही है. वर्तमान में देश में इस समय 1150 वृद्धाश्रम हैं. जिनमें लगभग 97000 लोगों को शरण देने की सुविधा उपलब्ध है.
क्या कहती है हेल्प एज इंडिया की रिपोर्ट
हेल्प एज इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 51% वृद्ध महिलाओं के पास आर्थिक सुरक्षा न होने की वजह से उन्हें परिवार से अलग होना पड़ता है. यानी बुजुर्ग से किसी भी तरह इनकम न होने के कारण भी उन्हें घर से बाहर निकाल दिया जाता है.
तो वहीं दूसरी ओर ऐसे बुजुर्ग भी हैं जो संपन्न परिवार से होने के वाबजूद अपने बच्चों को स्पेस देने के लिए पेड यानी पैसे देके वृद्धाश्रम में रहना पसंद करते हैं. हेल्प एज इंडिया की रिपोर्ट में चौकानें वाला खुलासा ये भी हुआ कि 52% वृद्ध महिलाओं ऐसी हैं जिनका मानना है उनके साथ दुर्व्यवहार होना आम बात है.
हेल्प एज इंडिया की स्टेटहेड संस्कृति खरे ने बताया कि सिर्फ शहरों से ही नहीं बल्कि अब ग्रामीण क्षेत्रों से भी इस तरह के मामले सामने आते हैं जहां अपनी बहु बेटे से परेशान या हिंसा के कारण भी उन्हें वृद्धाश्रम का सहारा लेना पड़ता है.
सोशल मीडिया और डिजिटलाइजेशन की समझ नहीं
कई बार वृद्धाश्रम की बढती संख्या की वजह जागरूकता और सटीक जानकारी ना होना है. कई क्षेत्रों में बुजुर्गो को यह जानकारी नहीं होती कि अगर उनके साथ हिंसा हो रही है तो उसकी कंप्लेंट कहां करनी है.
डिजिटलाइजेशन से जागरूक न होने की वजह से बुजुर्ग हिंसा के खिलाफ आवाज नहीं उठा पाते हैं. साथ ही मान लेते हैं कि यह आम बात है. ऐसे बुजुर्गों के लिए हेल्पएज इंडिया द्वारा टोल फ्री नंबर 14567 चलाया जाता है.
इस नंबर पर संपर्क करके बुजुर्ग उनके साथ हो रही हिंसा को रिपोर्ट कर सकते हैं. वे इस नंबर पर कॉल करके अपने मन की बात भी शेयर कर सकते हैं.
बुजुर्गों के अकेलेपन को कैसे दूर करें
कई बार जॉइंट फैमिली होने बावजूद घर के बुजुर्गों को अकेलेपन का सामना करना पड़ता है. घर में अपनों के आस-पास रहने के बाद बुजुर्ग और बच्चों के बीच में कई तरह के अंतर आ जाते हैं.
जिससे बुजुर्ग उनके बच्चों के द्वारा समय न मिलने की वजह से दुखी हो जाते है. अगर आप भी इसी तरह की परिस्थिति में हैं तो आप अकेलेपन को कई तरह से दूर कर सकते हैं.
वर्कशॉप का आयोजन– अलग-अलग तरीकों की वर्कशॉप के आयोजन से पीढ़ियों के बीच बन रहे अंतर को कम कर सकते हैं. इस तरह की वर्कशॉप में एक पीढ़ी की दूसरी पीढ़ी से बातचीत अकेलेपन को दूर कर सकती है.
स्टोरी टैलिंग वर्कशॉप – युवा अपने बुजुर्गों के जीवन के अनुभवों से बहुत कुछ सीख सकते हैं। बुजुर्ग भी अपने ज्ञान और जीवन से सीखे गए सबक को साझा करना चाहते हैं. अनुभवों को साझा करने से युवा बुजुर्गों के ज्ञान की सराहना करेंगे और इसे अपने जीवन में लागू करने में सक्षम होंगे.
धार्मिक यात्राएं: बुजुर्गों को अक्सर धार्मिक महत्व के स्थानों पर जाने की इच्छा होती है. यात्रा करना बुजुर्गों को शान्ति और सुकून प्रदान करने का एक प्रभावी तरीका है जो उन्हें मानसिक रूप से तरोताज़ा करेगा.