एक तरफ देश की सरकार और राज्य सरकारें हम दो हमारे दो की बात कर रही है। तो वही दूसरी ओर एक शख्स 13 बच्चों को पैदा करने के बाद भी नसबंदी कराने को तैयार नहीं हुआ। इतना ही नहीं शख्स से डाक्टरों ने भी हार मान ली, वही पुलिस भी उसे नसबंदी के लिए कंट्रोल नहीं कर पाई। हद तो तब हुई जब वह स्वास्थ्य विभाग की टीम को देखकर जंगल में भाग गया। हालांकि बाद में शख्स की बड़ी मशक्कत के बाद नशबंदी करा दी गई।
खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि 46 साल के शख्स को समझाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी से लेकर पुलिस महकमे तक के लोग लगे रहे। तब कहीं जाकर चिन्ना मथैयन नसबंदी के लिए राजी हुआ। आपको बता दें कि पिछले हफ्ते ही चिन्ना की पत्नी ने अपने तेरहवें बच्चे को जन्म दिया है।
गांव वाले सही नहीं मानते नसबंदी
बताया जा रहा है कि गांव के रहने वाले दंपति धार्मिक तौर पर नसबंदी को सही नहीं मानते थे। दंपति के 12 बच्चे हैं, जिनमें सात बेटे और पांच बेटियां हैं। शख्स की पत्नी ने पिछले हफ्ते ही अपने 13वें बच्चे को जन्म दिया है। ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर का कहना है कि स्थानीय पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की एक टीम ने चार दिनों की काउंसलिंग के बाद मथैयन को पुरुष नसबंदी के लिए मनाने का लगातार प्रयास किया था।
स्वास्थ्य टीम को देखते ही जंगल में भागा शख्स
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के अनुसार नसबंदी प्रक्रिया के लिए अस्पताल ले जाने से पहले हमने दंपती के परिवार को पांच दिन का किराने का सामान भी दिया था। अधिकारी का कहना है कि डिलीवरी के बाद शख्स की पत्नी की हालत काफी खराब थी, अगर वह दूसरे बच्चे को जन्म देती तो उसकी मौत हो सकती थी। इसीलिए हमने मथैयन की नसबंदी करने का फैसला किया। मथैयन को समझाने के लिए टीम ने आठ बार उसके गांव का दौरा किया। जब भी मेडिकल टीम काउंसलिंग के लिए उनके गांव का दौरा करती थी तो मथैयन जंगल में भाग जाता था।
आखिर नसबंदी के राजी हुआ मथैयन
जब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियो ने मथैयन को उसकी पत्नी के खराब स्वास्थ्य के बारे में बताया तो वह नसबंदी के लिए तैयार हो गया। इसके बाद बीते रविवार की सुबह सरकारी अस्पताल में उसकी पुरुष नसबंदी कराई।