Farmers Protest: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की आज भूख हड़ताल, सरकार ने फिर भेजा बातचीत का न्योता

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Farmers Protest Against Farm Laws: देश के किसान लगातार 26 दिनों से कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। इस बीच कई दफा किसान संगठनों और सरकार के बीच बातचीत भी हुई लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। आज किसानों ने भूख हड़ताल पर रहने का ऐलान किया है। इसी बीच मोदी सरकार ने भी फिर से बातचीत के लिए किसान संगठनों को न्योता भेजा है। हालांकि किसान सरकार के इस बुलावे पर भी आज फैसला लेंगे।
40 किसान संगठनों को सरकार का न्योता
किसानों ने रविवार को ही ऐलान कर दिया था कि, सभी धरना स्थलों पर आज सोमवार को एक दिन की भूख हड़ताल करेंगे। कृषि कानून के विरोध में 11 किसान संगठनों के नेता आज 24 घंटे की भूख हड़ताल पर हैं।
वहीं सरकार की ओर से 40 किसान संगठनों के नाम पत्र लिखा गया है। कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने क्रांतिकारी किसान मोर्चा समेत 40 किसान संगठनों को चिट्ठी लिखकर सरकार से बात करने का न्योता दिया है। हालांकि अब किसान ही यह तय करेंगे कि उन्हें बातचीत कब करनी है। बता दें कि, इससे पहले किसानों और सरकार के बीच 6 दौर की बातचीत विफल हो चुकी है।
इस तरह करेंगे मन की बात का विरोध
आगे किस तरह से मोदी सरकार का विरोध करना है इसके लिए भी किसानों ने रणनीति तैयार कर ली है। 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम मन की बात का प्रसारण होना है। ऐसे में भारतीय किसान यूनियन के नेता जगजीत सिंह डलेवाला ने अपील की है कि, जब तक प्रधानमंत्री मोदी का मन की बात कार्यक्रम में संबोधन चलता रहे तब तक पूरे समय लोग अपने घरों में थाली पीटते रहें।
We have decided to make the toll plazas in Haryana free from December 25 to December 27: Jagjit Singh Dallewala, Bharatiya Kisan Union https://t.co/oFX4Tdprtr
— ANI (@ANI) December 20, 2020
23 दिसंबर को लंच न बनाने की अपील
आंदोलन के बीच पड़ रहे ‘किसान दिवस’ को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत ने अपील की है, 23 दिसंबर को कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के चलते लंच न बनाएं। वहीं 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा के किसानों ने नाकों पर टोल नहीं देने का फैसला किया है।
किसानों ने मनाया था श्रद्धांजलि दिवस
गौरतलब है कि, कल यानी रविवार को नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन में जान गंवाने वालों की याद में देशभर के किसानों ने ‘श्रद्धांजलि दिवस’ मनाया था। इस दौरान आंदोलन में जिन लोगों की मौत हुई है उन्हें श्रद्धांजलि दी गई और प्रार्थना सभाओं का भी आयोजन किया गया।