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बीमा है या मजाक: ओले से खराब हुई मक्का फसल के क्लेम की राशि शासन को वापस लौटा रहे किसान! कारण जानकार हैरान रह जाएंगे आप

PM Fasal Bima Yojana: मध्य प्रदेश में ओले-बारिश की वजह से खराब हुई मक्के की फसल की किसानों को हाल ही में बीमा क्लेम की राशि मिली है।

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Rahul Sharma
बीमा है या मजाक: ओले से खराब हुई मक्का फसल के क्लेम की राशि शासन को वापस लौटा रहे किसान! कारण जानकार हैरान रह जाएंगे आप

   हाइलाइट्स

  • फरवरी में ओले बारिश की वजह से बर्बाद हुई मक्का की फसल
  • हाल ही में किसानों को मिली है फसल बीमा क्लेम की राशि
  • 12 लाख हेक्टेयर पर होता है मक्के का 30 लाख मैट्रिक टन उत्पादन
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PM Fasal Bima Yojana: मध्य प्रदेश में ओले-बारिश की वजह से खराब हुई मक्के की फसल की किसानों को हाल ही में बीमा (PMFBY) क्लेम की राशि मिली है।

हालांकि ये राशि इतनी कम है कि इसे वापस करने किसान खुद शासन के पास जा रहे हैं। किसानों का कहना है कि बीमा की इतनी कम राशि देकर उनके साथ मजाक किया गया है।

   मक्का फसल का ये है गणित

एक एकड़ में मक्का फसल तैयार करने में करीब 20 हजार रुपये खर्चा आता है। वहीं फसल बेचने पर किसान को करीब 1 लाख रुपये मिलते हैं।

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यानी बाजार में उपज बेचने पर किसान को 80 हजार रुपये की बचत हो जाती है। एमपी में मक्का का औसत उत्पादन 50.23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

   बीमा क्लेम के नाम पर मजाक

खरगोन जिले के देवली के किसान दशरथ राठौड़ ने 2 एकड़ पर 40 हजार रुपये खर्च कर मक्का की फसल लगाई।

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यदि उत्पादन होता तो दशरथ को 2 लाख रुपये मिलते। फरवरी में ओले-बारिश की वजह से फसल पूरी तरह खराब हो गई।

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सोचा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PM Fasal Bima Yojana) के क्लेम से इस क्षति की पूर्ति हो जाएगी, लेकिन जब बीमा क्लेम मिला तो वह महज 7250 रुपये ही दिया गया।

   बीमा का पैसा लौटाने पहुंचा किसान

नुकसान के एवज में न के बराबर बीमा (PM Fasal Bima Yojana) का क्लेम मिलने से नाराज किसान दशरथ खरगोन जिला मुख्यालय अधिकारियों को पैसा लौटाने पहुंच गया।

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यहां नायब तहसीलदार विजय उपाध्याय ने राशि लेने से मना कर दी। एसडीएम भास्कर गाचले ने बताया कि राशि को वापस लेने का प्रावधान नहीं है।

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किसान फिलहाल तो वापस लौट गया, लेकिन अब दोबारा आकर कलेक्टर को राशि लौटाने की बात कही है।

   5 साल का औसत उत्पादन बना समस्या

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PM Fasal Bima Yojana) में क्लेम की गणना के लिए 5 साल का औसत उत्पादन लिया जाता है। यह हर जिले में अलग-अलग होता है।

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खेती के जानकारों का मानना है कि ये फार्मूला ही गलत है। जब लगातार उत्पादन बढ़ रहा है तो फिर 5 साल के उत्पादन का औसत निकालने से किसानों को क्लेम के समय नुकसान होगी ही।

इसके अलावा भी फार्मूले में और भी कई सारी त्रुटियां है। जिसके कारण किसान को बेहद कम क्लेम की राशि मिलती है।

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   फरवरी में पड़ी थी मौसम की मार

फरवरी 2024 में आंधी, बारिश और ओले की वजह से मक्का की फसल को भारी नुकसान पहुंचा।

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किसानों ने प्राकृतिक आपदा से फसल को कवर करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PM Fasal Bima Yojana) के अंतर्गत बीमा भी कराया।

लेकिन क्लेम की राशि नुकसान से बेहद कम मिलने से किसान अब इसे लौटा रहे हैं।

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   12 लाख हेक्टेयर में 30 लाख MT उत्पादन

बीते कुछ सालों में मध्य प्रदेश में मक्का का क्षेत्रफल और उत्पादन तेजी से बढ़ा है। यहां 12 लाख हेक्टेयर पर इसकी खेती होती है और करीब 30 लाख मैट्रिक टन उत्पादन है।

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