किसान बिल राज्यसभा में पास, विपक्ष ने की नारेबाजी, टीएमसी सांसद ने सदन की रूल बुक फाड़ी

नई दिल्ली। विपक्ष के हंगामे के बीच किसान बिल राज्यसभा से पास हो गया है। कृषि संबंधित दो बिल ध्वनि मत से पास हुए हैं। उच्च सदन में बिल पर चर्चा के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जवाब दिया। तोमर के जवाब देने के दौरान विपक्ष के सांसदों ने जोरदार हंगामा किया। सांसदों ने हंगामा उपसभापति के फैसले पर किया। दरअसल, सदन की कार्यवाही 1 बजे पूरी होनी थी। उपसभापति ने कार्यवाही को विधेयक के पारित होने तक बढ़ाने का फैसला लिया। विपक्ष के सांसदों ने इसपर हंगामा शुरू कर दिया। सांसदों ने रूल बुक फाड़ दी और माइक को भी तोड़ दिया।
क्या हैं ये बिल?
1. उपज व्यापार और वाणिज्य संवर्धन-सुविधा बिल-2020
किसानों को मंडी से बाहर कहीं भी उपज बेचने का अधिकार होगा
2. आवश्यक वस्तु संशोधन बिल -2020
अनाज समेत कई वस्तुओं को आवश्यक वस्तु की लिस्ट से बाहर करने का प्रावधान
प्राइवेट इन्वेस्टर्स को व्यापार करने में आसानी, सरकारी हस्तक्षेप से मिलेगी मुक्ति
3. सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता बिल-2020
आर्थिक लाभ कमाने में बिचौलिए की भूमिका खत्म होगी
दो बिल राज्यसभा से पास
विपक्ष के हंगामे के बीच रविवार को कृषि से संबंधित दो बिल राज्यसभा से पास हो गए। पहला बिल है कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 और तो दूसरा बिल कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक।
जोरदार हंगामा देखने को मिला
दोनों बिल पास होने से पहले सदन में जोरदार हंगामा देखने को मिला.. कांग्रेस, टीएमसी, आम आदमी पार्टी के सासंदों ने जमकर नारेबाजी की। टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने रूल बुक को फाड़ दिया और माइक भी तोड़ दिया। विपक्षी सांसदों के हंगामे के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बिल पर जवाब भी दिया। इस दौरान हंगामा कर रहे सांसदो ने आसंदी के सामने लगे माइक को तोड़ दिया।
कृषि मंत्री ने क्या कहा ?
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य का विधेयक से कोई लेना-देना नहीं। MSP पर खरीदी आने वाले समय में भी होगी। किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।किसान मनचाही कीमत पर अपनी उपज बेच सकेंगे।
कांग्रेस पार्टी इन बिलों का विरोध करती है
कांग्रेस के सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इन बिलों का विरोध करती है। पंजाब और हरियाणा के किसानों का मानना है कि ये बिल उनकी आत्मा पर हमला है। इन विधेयकों पर सहमति किसानों के डेथ वॉरंट पर हस्ताक्षर करने जैसा है। किसान एपीएमसी और एमएसपी में बदलाव के खिलाफ हैं.
आम आदमी पार्टी ने बताया काला कानून
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि इस बिल के जरिए किसानों को पूंजीपतियों के हाथों में सौंपने का काम किया जा रहा है। यह एक काला कानून है जिसका मैं आम आदमी पार्टी की तरफ से विरोध करता हूं। उन्होंने कहा कि आपने FDI का जमकर विरोध किया था ,लेकिन आज आप किसानों को पूंजीपतियों के हाथ में गिरवी रखने जा रहे हैं, देश के किसानों की आत्मा को बेचने जा रहे हैं.
Despite recommendations of various commissions & experts, Congress never did justice to farmers who found themselves helpless for years. Today, when Congress realised they don't have support in Rajya Sabha, they resorted to 'gundagardi': Union Agriculture Minister Narendra Tomar pic.twitter.com/pem9s2uibi
— ANI (@ANI) September 20, 2020
सपा सांसद ने बताया किसानों का डेथ वारंट
समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पर तंज कसते हुए कहा कि मेरा मन कह रहा है कि ये बिल आपने बनाया ही नहीं है। कोई किसान का बेटा इस तरह का बिल नहीं बना सकता है। रामगोपाल यादव ने साथ ही इस बिल को ‘किसानों का डेथ वारंट’ बताया।
Rajya Sabha: TMC MP Derek O'Brien entered the well and showed the House rule book to Rajya Sabha Deputy Chairman Harivansh, during discussion in the House on agriculture Bills pic.twitter.com/OlTjJb6j4F
— ANI (@ANI) September 20, 2020
शिरोमणि अकाली दल का विरोध
शिरोमणि अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल ने कहा कि बिल को पहले सेलेक्ट कमिटी को भेजा जाए. जो हितधारक हैं उनको पहले सुना जाए। नरेश गुजराल ने साथ ही सरकार को चेतावनी भी दे दी। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को कमजोर न समझे।
YSR कांग्रेस ने कृषि विधेयक का समर्थन किया
YSR कांग्रेस के सांसद विजयसाई रेड्डी ने कहा कि पूर्व की सरकार मिडलमैन का समर्थन करती थी। किसानों को अपने उत्पाद को लाइसेंस प्राप्त बिचौलियों और उनके कार्टेल को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा। उनके इस बयान पर कांग्रेस के सांसदों ने हंगामा किया। कांग्रेस के सांसद आनंद शर्मा ने इसे शर्मनाक करार दिया। वहीं, JDU ने भी कृषि विधेयक का समर्थन किया है। पार्टी के सांसद रामचंद्र सिंह ने कहा कि बिहार 2006 में एपीएमसी अधिनियम से हटने वाला पहला राज्य था. तब से कृषि उत्पादन और खरीद एमएसपी के साथ बढ़ी है।
सरकार क्या भरोसा दे सकती है
शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा कि देश में 70 फीसदी लोग खेती से जुड़े हैं। पूरे लॉकडाउन में किसान ही काम रहे थे। सरकार क्या भरोसा दे सकती है कि बिल के पास होने के बाद किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी और आगे देश में कोई भी किसान आत्महत्या नहीं करेगा।