Farmer Protest: केन्द्र सरकार के विवादित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन सफल होने के बाद दिसंबर 2021 में अपने घरों को लौट गए किसान फिर से सिंघू बॉर्डर पर जुटने की योजना बना रहे हैं। गौरतलब है कि किसानों ने 1 साल तक कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन किया था।
वादा पूरा नहीं किया
पीटीआई के मुताबिक, किसान नेताओं ने शनिवार को आरोप लगाया कि केंद्र की सरकार ने मांगे पूरी करने का आश्वासन देकर उनका आंदोलन स्थगित जरूरत करवा दिया लेकिन अपना वादा पूरा नहीं किया। संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य व हरियाणा के किसान नेता अभिमन्यु कोहाड ने बताया, ‘‘11 दिसंबर, 2022 को फिर से हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश सहित तमाम राज्यों के किसान सिंघु बॉर्डर पहुंच रहे हैं।’’
साथ ही उन्होंने कहा कि उस दिन आंदोलन में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि देने के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी। अभिमन्यु ने सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘हमारी तमाम मांगे पूरी नहीं हुई हैं, जिनमें फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य महत्वपूर्ण है।’’ इसके अलावा उनका कहना है कि पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं वही किसान आंदोलन के दौरान उनके खिलाफ दर्ज मुकदमों को साल भर बाद भी वापस नहीं लिया गया है।
बता दें कि इससे पहले सोनीपत में ही केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने सिंघु बॉर्डर पर एक बार फिर किसानों की वापसी के सवाल पर कहा था कि दो महीने पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Msp और अन्य मुद्दों पर कमेटी का गठन किया है और वह अपना काम कर रही है।
मोदी सरकार को कृषि बिल वापस लेना पड़ा
बता दे कि साल 2020 में केंद्र की मोदी सरकार ने 3 कृषि कानून पारित किए थे, लेकिन खासकर पंजाब और हरियाणा के किसान उस फैसले से नाराज थे। जिस कारण बिल को रद्द करवाने के लिए किसानों ने 1 साल तक सिंघु बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन किया था। इस दौरान उनके आंदोलन को रोकने के लिए कई बार प्रयास किए गए, लेकिन किसान अपना जगह से नहीं हिले। बल्कि आखिर में सरकार को झुकने पर मजूबर कर दिया। खुद पीएम मोदी ने सामने आकर कृषि बिल वापस लेने की घोषणा की थी। तब जाकर किसान मानें और अपने घरों को वापस लौटे। अब एक बार फिर मांगे पूरी न होंने पर किसान सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन कर सकते है।