चेन्नई। भारत के महान कृषि वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले एम एस स्वामीनाथन का गुरुवार को निधन हो गया। उन्होंने तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में सुबह 11.20 बजे अंतिम सांस ली। बता दें कि उनका जन्म 7 अगस्त, 1925 को हुआ था।
कृषि क्षेत्र में स्वामीनाथन के अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदला :प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन के निधन पर दुख जताया और साथ ही कहा कि कृषि क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदला और राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की। प्रधानमंत्री ने स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि भारत को प्रगति करते देखने का उनका जुनून अनुकरणीय था तथा उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।देश की ‘हरित क्रांति’ में अहम योगदान देने वाले स्वामीनाथन का बृहस्पतिवार को चेन्नई में निधन हो गया।
वह 98 वर्ष के थे।मोदी ने ‘एक्स’ पर सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, ‘‘डॉ एम एस स्वामीनाथन के निधन से गहरा दुख हुआ। हमारे देश के इतिहास में एक बहुत ही नाजुक अवधि में, कृषि में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।’’प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि में अपने क्रांतिकारी योगदान से इतर, स्वामीनाथन नवाचार के ‘पावरहाउस’ और कई लोगों के लिए वह एक कुशल संरक्षक भी थे।उन्होंने कहा कि अनुसंधान और लोगों के लिए प्रतिपालक की अपनी भूमिका को लेकर उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने अनगिनत वैज्ञानिकों और अन्वेषकों पर एक अमिट छाप छोड़ी ।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं डॉ स्वामीनाथन के साथ अपनी बातचीत को हमेशा संजोकर रखूंगा। भारत को प्रगति करते देखने का उनका जुनून अनुकरणीय था। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना।’’
कौन थे स्वामीनाथन?
स्वामीनाथन का जन्म ब्रिटिश राज में 7 अगस्त, 1925 को तमिलनाडु में हुआ। मूल रूप से वे आनुवांशिक विज्ञान के वैज्ञानिक थे लेकिन वह कृषि की ओर मुड़े और देश के सबसे प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक की पहचान बनाई। उनके काम को पूरी दुनिया में सराहना मिली। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा उनको “आर्थिक पारिस्थितिकी के जनक” का नाम दिया गया।
एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की हुई स्थापना
इसके अतिरिक्त, उन्होंने अपने प्राप्त धनराशि का सदुपयोग करके 1990 में चेन्नई में “एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन” की स्थापना की, जिसने कृषि शोध के क्षेत्र में नवाचार प्रोत्साहित किया और उनकी प्रेरणा से बड़े-बड़े परियोजनाओं को आगे बढ़ाया। उनके समर्पित योगदान के कारण, उन्होंने भारतीय कृषि के क्षेत्र में विकास के नए मापदंड स्थापित किए और देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूती दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जबलपुर में भारत के सर्वश्रेष्ठ कृषि केंद्रों में से एक जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय भी कहीं ना कहीं इन्हीं के प्रयासों का परिणाम माना जा सकता है। क्योंकि भारत में उच्च गुणवत्ता की कृषि के लिए सबसे पहला प्रयास स्वामीनाथन ने ही किया था।
इन सम्मानों से नवाजा गया
स्वामीनाथन ने भारतीय कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए अनेक सम्मानों के पात्र बने। उन्हें अपने अद्वितीय प्रयासों के लिए सम्मानित किया गया और उन्होंने अपनी दिन-रात की मेहनत से भारतीय कृषि को नए दिशानिर्देश दिए। उन्हें निम्नलिखित सम्मानों से नवाजा गया:
पद्म श्री (1967)
पद्म भूषण (1972)
पद्म विभूषण (1989)
अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार वोल्वो इंटरनेशनल एनवायरनमेंट पुरस्कार (1999)
विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सम्मान
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