Imroz Passed Away: मशहूर कवि और चित्रकार इमरोज का शुक्रवार को निधन हो गया। उन्होंने अपने मुंबई स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। इमरोज काफी समय से उम्र संबंधी परेशानियों से गुजर रहे थे, जिसके चलते उन्होंने 97 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया।
वे कनाडा में रहते थे। इमरोज का मूल नाम इंद्रजीत सिंह था। उनके निधन पर कवि और साहित्यकारों ने शोक व्यक्त किया।
इमरोज- अमृता की कहानी
इमरोज के निधन की पुष्टि उनकी करीबी दोस्त अमिया कुंवर ने की।उन्होंने कहा, “इमरोज़ कुछ दिनों से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह एक पाइप के माध्यम से खाना खा रहे थे, लेकिन वह अमृता को एक दिन के लिए भी नहीं भूल पाए।
वह कहते थे ‘अमृता है, यहीं है’। इमरोज़ ने भले ही आज भौतिक दुनिया छोड़ दी हो, लेकिन वह केवल अमृता के साथ स्वर्ग में गए हैं।”
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इमरोज ने कई प्रसिद्ध एलपी के कवर डिजाइन किए थे
इमरोज का जन्म साल 1926 में लाहौर से 100 किलोमीटर दूर एक गांव में हुआ था। इमरोज ने जगजीत सिंह की ‘बिरहा दा सुल्तान’ और बीबी नूरन की ‘कुली रह विच’ सहित कई प्रसिद्ध एलपी के कवर डिजाइन किए थे।
लाहौर आर्ट स्कूल में पढ़े, कैलीग्राफी की
इमरोज ने शुक्रवार को अपने मुंबई स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। करीबी दोस्त अमिया कुंवर ने उनके निधन की पुष्टि की। वे उम्र से जुड़ी कई समस्याओं से जूझ रहे थे। बताया जाता है कि उन्हें पाइप के जरिए खाना दिया जा रहा था।
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उनका मूल नाम इंद्रजीत सिंह था। बंटवारे से पहले के पंजाब में 26 जनवरी 1926 को जन्मे इमरोज ने लाहौर के आर्ट स्कूल से रंगों की दुनिया की तालीम ली। कभी सिनेमा के बैनरों के लिए तो कभी फिल्मों के पोस्टरों के लिए रंग भरे।
उर्दू पत्रिका ‘शमा’ के लिए छह साल कैलीग्राफी भी की। टेक्सटाइल और घड़ियों के लिए डिजाइन बनाने का भी काम किया। उधर, अमृता की शादी प्रीतम सिंह से हो चुकी थी। कुछ साल बाद एक मुशायरे में उनकी साहिर लुधियानवी से मुलाकात हुई।
वहीं, इमरोज से उनकी मुलाकात एक किताब के कवर को डिजाइन कराने के सिलसिले में हुई। बताते हैं कि इंद्रजीत ने अमृता के कहने पर ही अपना नाम इमरोज लिखना शुरू किया। इमरोज आज गुजर गए, अमृता प्रीतम के ही शब्दों में कहें तो कलम ने आज गीतों का काफिया तोड़ दिया।
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