Karni Mata Mandir: राजस्थान धार्मिक स्थलों के लिए पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है। राजस्थान के बीकानेर में शक्ति का एक ऐसा ही पावन सिद्धपीठ है जो चूहे वाले मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है।
करणी माता का यह मंदिर बीकानेर शहर से 32 किमी दूर देशनोक गांव में है। इस मंदिर के पीछे ऐसी मान्यता है कि करणी माता के दरबार में आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं लौटता है।
इस मंदिर की खासियत है कि यहां पर देवी की पूजा में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद पर सबसे पहला हक चूहों का होता है और जब चूहे उस प्रसाद को खा लेते हैं तो उसे भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है जो कि भक्तों के लिए महाप्रसाद बन जाता है।
Karni Mata Mandir: चूहों का जूठा प्रसाद होता है भक्तों के लिए महाप्रसाद, जानिए माता के इस अद्भुत मंदिर का रहस्यhttps://t.co/nXdCEXcXmx#karnimatamandir #karnimata #Temple #Rajsthan #bikaner #religioustouristplaces pic.twitter.com/uYT5tZ651f
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चूहे हैं माता के सच्चे सेवक
करणी माता के मंदिर में 20 हजार से भी ज्यादा चूहे रहते हैं और इन घूमने वाले हजारों चूहों को लेकर मान्यता है कि जब कभी किसी चारण (राजपूताना राज्यों मे चारण एक सर्वश्रेष्ठ, प्रभावशाली एवम महत्वपूर्ण व्यक्ति होते थे) की मृत्यु होती है तो उसका पुनर्जन्म चूहे के रूप में होता है।
यही कारण है कि माता के सेवक माने जाने वाले चूहों को कोई भूलकर भी परेशान नहीं करता है।
चूहे लगाते हैं भोग
आम जिंदगी में भले ही लोग चूहे के द्वारा जूठा किए गए भोज्य पदार्थ को न खाएं और उसे फेंक देते हों, लेकिन मंदिर के भीतर देवी को चढ़ाए जाने वाले भोग को सबसे पहले चूहे खाते हैं, और उसके बाद उनका जूठा किया गया प्रसाद सभी भक्तों को बांटा जाता है।
खास बात यह कि सभी इसे आदर के साथ लेकर ग्रहण करते हैं इस प्रसाद से किसी भी भक्त को कोई आपत्ति नहीं होती है, बल्कि वह इसे महाप्रसाद तक बोलते हैं।
क्या है करणी माता का रहस्य
राजस्थान के बीकानेर में करणी माता को मां करणी, महाई और दाढाली डोकरी यानि दाढ़ी वाली बूढ़ी माता के रूप में जाना जाता है। करणी माता के बारे में धार्मिक मान्यता यह है कि उनका जन्म चारण जाति में रिधुबाई के रूप में हुआ था। जिनकी पूजा-अर्चना चारण परिवार के लोग करते हैं।
माता को हिंदू योद्धाओं की देवी माना जाता है, जिन्हें उनके भक्त हिंगलाज देवी के रूप में पूजते हैं। 51 शक्तिपीठ में से एक हिंगलाज माता का मूल मंदिर पाकिस्तान में स्थित है।
राजस्थान के साथ-साथ करणी माता के भक्त संपूर्ण विश्व में बढ़ते जा रहे हैं और हर वक्त यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।
सफेद चूहा है गुडलक
करणी माता के मंदिर हजारों हजार घूमने वाले चूहों को काबा कहा जाता है। खास बात यह कि न तो ये चूहे किसी को परेशान करते हैं और न ही कोई इन्हें तंग करता है।
माता के सेवक माने जाने वाले इन चूहों के बीच सफेद चूहा भी पाया जाता है, जिसके दर्शन को माता के भक्त अत्यंत ही शुभ मानते हैं।
मान्यता है कि जिस भक्त को सफेद चूहा दिखाई देता है, उस पर करणी माता की कृपा शीघ्र ही बरसती है। इस कारण यहां आने वाले भक्तों की आखों को सफेद चूहे की तलाश रहती है।
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Bansal News इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें।)