नई दिल्ली। Fact About Kinnar किन्नर एक ऐसा वर्ग है समाज का अंग न होते हुए भी समाज के लिए बेहद खास है। facts-about-eunuch कोई भी शुभ कार्य चाहे विवाह हो या परिवार में बच्चे का जन्म, इनके बिना अधूरा माना जाता है। इनकी दुआएं लोगों की जिंदगी बना देती हैं। तो वहीं कहा जाता है कि इनकी बद्दुआओं का असर भी उतना ही होता है। ऐसे में चलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं किन्नरों से जुड़ी कुछ खास बातें जो शायद आपको नहीं पता होगीं।
राम से मिला था आशीर्वाद
प्रभु श्रीराम जब 14 वर्ष का वनवास काटने के लिए अयोध्या छोड़ने लगे, तब उनकी प्रजा और किन्नर समुदाय भी उनके पीछे-पीछे चलने लगे थे। तब श्रीराम ने उन्हें वापस अयोध्या लौटने को कहा। लंका विजय के पश्चात जब श्रीराम 14 साल वापस अयोध्या लौटे तो उन्होंने देखा बाकी लोग तो चले गए थे, लेकिन किन्नर वहीं पर उनका इंतजार कर रहे थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर प्रभु श्रीराम ने किन्नरों को वरदान दिया कि उनका आशीर्वाद हमेशा फलित होगा। तब से बच्चे के जन्म और विवाह आदि मांगलिक कार्यों में वे लोगों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं ।
किन्नर से जुड़े तत्थ —
- ज्योतिष में ऐसा माना जाता है कि वीर्य की अधिकता से पुरुष (पुत्र) और रक्त (रज) की अधिकता से स्त्री (कन्या) का जन्म होता है। लेकिन जब वीर्य और रज समान हों तो किन्नर संतान पैदा होती है।
- ऐसा भी माना जाता है कि समाज को किसी किन्नर की मौत की खबर तक नहीं होती।
- ऐसा भी माना जाता है कि महाभारत में जब पांडव एक वर्ष का अज्ञात वास का समय जंगल में काट रहे थे। उस दौरान अर्जुन एक वर्ष तक किन्नर वृहन्नला बनकर रहे थे।
- जब किन्नरों को किसी किन्नर के होने की खबर होती है तो नए किन्नर को शामिल करने से पहले नाच-गाना और सामूहिक भोज किया जाता है।
- किसी नए वयक्ति को किन्नर समाज में शामिल करने से पहले कई सारे रीती-रिवाज़ों का पालन किया जाता है।
- किन्नर अपने आराध्य देव अरावन से साल में एक बार विवाह करते हैं। हालांकि यह विवाह मात्र एक दिन के लिए होता है।
- एक मान्यता अनुसार शिखंडी को किन्नर माना गया है। कहा जाता है कि शिखंडी की वजह से ही अर्जुन ने भीष्म को युद्ध में हरा दिया था।
- ऐसे होता किन्नर का अंतिम संस्कार —
किन्नरों से जुड़े तमाम बातों में लोग आज भी इस बात से अनजान हैं कि आखिर उनका अंतिम संस्कार कैसे और कब होता है। किन्नर अपने परिवार के किसी भी सदस्य की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार आधी रात को अंधेरे में करते हैं ताकि कोई उसे देख न सके। इसके पीछे मान्यता है कि यदि कोई मृत किन्नर का अंतिम संस्कार देख ले तो वह अगले जन्म में एक बार फिर किन्नर के रूप में जन्म लेता है। मृतक किन्नर को जलाने की बजाए उसे जमीन में दफनाया जाता है और इससे पहले उसे चप्पलों से पीटा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मृतक किन्नर के उस जन्म में किए सारे पापों का प्रायश्चित हो जाता है। किसी सदस्य की मौत के बाद किन्नर समाज उसका मातम नहीं मनाता क्योंकि उसका मानना है कि मृतक किन्नर को नारकीय जीवन से मुक्ति मिल गई। किन्नर बहुचरा माता की पूजा करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि अगले जन्म में वह किन्नर के रूप में न पैदा हों। - राम से मिला था आशीर्वाद
प्रभु श्रीराम जब 14 वर्ष का वनवास काटने के लिए अयोध्या छोड़ने लगे, तब उनकी प्रजा और किन्नर समुदाय भी उनके पीछे-पीछे चलने लगे थे। तब श्रीराम ने उन्हें वापस अयोध्या लौटने को कहा। लंका विजय के पश्चात जब श्रीराम 14 साल वापस अयोध्या लौटे तो उन्होंने देखा बाकी लोग तो चले गए थे, लेकिन किन्नर वहीं पर उनका इंतजार कर रहे थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर प्रभु श्रीराम ने किन्नरों को वरदान दिया कि उनका आशीर्वाद हमेशा फलित होगा। तब से बच्चे के जन्म और विवाह आदि मांगलिक कार्यों में वे लोगों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
नोट: इस लेख में दी गई जानकारियां सामान्य सूचनाओं पर आधारित हैं। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता।
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