Sawan 2024 Tripund Tilak ke Niyam Kya Hain: सोमवार से सावन का महीना (Sawan ka Mahina 2024) शुरू हो रहा है। इस बार सावन का महीना दुर्लभ योग (Sawan Durlabh Sanyog 2024) लेकर आ रहा है। सावन में 50 साल से ज्यादा समय बाद खास दुर्लभ संयोग बन रहा है। आइए जानते हें कि सावन में कौन सा दुर्लभ संयोग बनने वाला है।
साथ ही जानेंगे कि शिवजी को प्रसन्न करने के लिए त्रिपुंड लगाने के सही नियम (Tripund lagane ke sahi niyam kya hain) क्या हैं। इसे तीन संध्याओं में लगाने का सही तरीका (Tripung Rule) क्या है। साथ ही जानेंगे इसे किसे मिलाकर लगाना चाहिए। ?
सावन में कौन सा दुर्लभ योग बन रहा है
हिन्दू पंचांग के अनुसार पांचवां यानी सावन का महीना 22 जुलाई 2024 सोमवार के दिन से शुरू हो रहा है। ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार 50 साल से ज्यादा समय के बाद ऐसा हो रहा है जब सावन के महीने में पांच सोमवार (Sawan Somwar 2024) आ रहे हैं।
पांच अंक का संबंध पंचवक्र से होता है। यानी शिवजी के पांच मुंख है ऐसे में सावन में पांच सोमवार आना बेहद शुभ संकेत हैं। इस बार सोमवार, श्रावण नक्षत्र, सिद्धि योग से सावन के महीने की शुरूआत और इसी सें अंत होगा।
तीन तरह का सूचक है त्रिपुंड
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार त्रिपुंड (Tripund ka Mahatva) तीन चीजों का सूचक माना जाता है। त्रिपुंड लगाने धन प्राप्ति, शिवजी के संप्रदाय, ऐश्वर्य और शिव भक्त का सचूक होता है। ?
किस चीज से लगाना चाहिए त्रिपुंड
वैसे तो लोग त्रिपुंड कई चीजों से लगा लेते हैं लेकिन जो मुख्य रूप से त्रिपुंड लगाई जाती है उसमें भस्मी का उपयोग किया जाता है।
दिन की तीन संध्याओं में तीन तरह से लगाते हैं त्रिपुंड
आपको बता दें दिन की तीन संध्याएं होती हैं। इन तीनों संध्याओं में त्रिपुंड लगाने के तरीका होता है।
सुबह का त्रिपुंड
घर में सुबह के पूजन के बाद यदि त्रिपुंड लगा रहे हैं तो इस समय भस्म को जल में मिलाकर लगाना चाहिए।
दोपहर का त्रिपुंड
जब दोपहर की पूजा के बाद आप त्रिपुंड लगा रहे हैं तो ऐसे में आपको चंदन में भस्म मिलाकर त्रिपुंड लगाना चाहिए।
शाम का त्रिपुंड
यदि आप शाम की पूजा कर रहे हैं तो इस समय आपको भस्म में बिना कुछ मिलाए केवल भस्म की त्रिपुंड लगाना चाहिए।
तीनों संध्याओं का है महत्व
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार सुबह की पूजा ब्रहृम मुहूर्त वाला यानी ब्रहृमा जी को समर्पित होता है इसलिए इस दौरान जल वाली भस्म, दोपहर का संबंध विष्णुजी से है, इसलिए इस दौरान चंदन मिली भस्म और शाम की पूजा शिवजी को समर्पित होती है इसलिए इस दौरान बिना कोई चीज मिलाए भस्म का त्रिपुंड लगाना चाहिए।
क्या होता है त्रिपुंड
हर देवी देवता के लिए एक विशेष प्रकार के तिलक का उपयोग किया जाता है। शिवजी जो त्रिपुंड लगाया जाता है। शिव भक्त भी इसी को लगाते हैं। इस तिलक में तीन आड़ी रेखाओं को खींचकर तिलक लगाया जाता है। ये शिवभक्त की पहचान होती है।
घर पर ऐसे बनाते हैं त्रिपुंड की भस्म
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार शिवजी के तिलक के लिए उपयोग की जाने वाली भस्म को घर पर ही बेल की लकड़ी से बनाया जाता है। इसे शिवाग्निजनित भस्म भी कहा जाता है।
कई बार घरों में वास्तु दोष (Vastu Dosh) या वास्तु शांति (Vastu Shanti) पूजा के लिए बेल की लकड़ी से हवन किया जाता है। बेल की लकड़ी की भस्म से घर पर त्रिपुंड की भस्म तैयार की जाती है।
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