EVM-VVPAT Verification Case: सुप्रीम कोर्ट ने VVPAT वेरिफिकेशन की मांग को लेकर सभी याचिकाओं को शुक्रवार को खारिज कर दिया है। बैलेट पेपर की मांग को लेकर दर्ज याचिका भी खारिज कर दी गई है।
कोर्ट के इस फैसले से EVM के जरिए डाले गए वोट की VVPAT की पर्चियों से शत-प्रतिशत मिलान की मांग को झटका लगा है। ये फैसला जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षा वाली बेंच ने सहमति से दिया है।
Supreme Court rejects all the petitions seeking 100 per cent verification of Electronic Voting Machines (EVMs) votes with their Voter Verifiable Paper Audit Trail (VVPAT) slips. pic.twitter.com/z3KEvhUaAP
— ANI (@ANI) April 26, 2024
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की 100% क्रॉस-चेकिंग की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने आज (26 अप्रैल) सुनाया ।
24 अप्रैल की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। 40 मिनट चली सुनवाई में जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था कि हम मेरिट पर दोबारा सुनवाई नहीं कर रहे हैं। हम कुछ निश्चित स्पष्टीकरण चाहते हैं। हमारे कुछ सवाल थे और हमें जवाब मिल गए। फैसला सुरक्षित रख रहे हैं।
हारा प्रत्याशी करा सकेगा शिकायत
एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा है कि चुनाव नतीजा घोषित होने के बाद अगर कोई शिकायत है तो नंबर 2 और नंबर 3 प्रत्याशी सात दिन के अंदर जिला निर्वाचन अधिकारी के समक्ष शिकायत कर सकता है।
उसकी शिकायत की जांच विशेषज्ञ इंजीनियर करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने आशंकाओं के समाधान के लिए कहा, माइक्रोकंट्रोलर ईवीएम में बर्न मेमोरी की जांच परिणाम घोषित होने के बाद की जानी चाहिए।
उम्मीदवारों के अनुरोध पर इंजीनियरों की एक टीम द्वारा ये जांच कराई जा सकती है. उम्मीदवार को ये अनुरोध परिणाम घोषित होने के 7 दिनों के भीतर करना होगा। जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि किसी भी सिस्टम पर आंख मूंदकर शक करने से बेवजह संदेह पैदा हो सकता है।
VVPAT पर सुप्रीम कोर्ट के दो महत्वपूर्ण निर्देश
पहला निर्देश यह है कि सिंबल लोडिंग प्रोसेस पूरी होने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट (SLU) को सील किया जाना चाहिए और इसे 45 दिन तक सुरक्षित रखा जाना चाहिए।
नतीजे में दूसरे और तीसरे नंबर पर आए उम्मीदवार चाहें तो परिणाम आने के सात दिन के भीतर दोबारा जांच की मांग कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में इंजीनियरों की एक टीम द्वारा माइक्रो कंट्रोलर की मेमोरी की जांच की जाएगी।
वेरिफिकेशन के लिए देना होगा खर्चा
जस्टिस खन्ना ने कहा कि वीवीपैट वेरिफिकेशन का खर्चा उम्मीदवारों को खुद ही उठाना पड़ेगा। यदि ईवीएम में गड़बड़ी पाई जाती है तो खर्च वापस कर दिया जाएगा।
जस्टिस दत्ता का कहना था कि किसी सिस्टम पर आंख मूंदकर संदेह करना ठीक नहीं है। लोकतंत्र, सभी स्तंभों के बीच सद्भाव और विश्वास बनाए रखने के बारे में है। विश्वास और सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देकर हम अपने लोकतंत्र की आवाज को मजबूत कर सकते हैं।
अब तक सुनवाई में क्या हुआ
मतदाताओं की electoral system में संतुष्टि और भरोसा के महत्व को रेखांकित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने petitioners से कहा था कि वे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) की प्रभाविता पर संदेह नहीं करें और अगर Election Commission अच्छा काम करता है तो उसकी सराहना करें।
याचिकाकर्ताओं ने मतपत्रों (ballot papers) के जरिए मतदान की व्यवस्था की ओर वापस लौटने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की Bench ने EVM के जरिए डाले गए मतों का वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के साथ पूर्ण मिलान की मांग वाली विभिन्न याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि हर चीज पर संदेह करना एक समस्या है।
क्या है VVPAT?
VVPAT एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली (independent vote verification system) है जिसके तहत मतदाता देख सकते हैं कि उनका वोट सही तरीके से डाला गया है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उस समय की जब याचिकाकर्ता Non government organization एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने VVPAT मशीनों पर transparent glass को अपारदर्शी कांच (opaque glass) से बदलने के आयोग के 2017 के फैसले को उलटने की मांग की है, जिसके जरिए कोई मतदाता केवल 7 सेकंड के लिए रोशनी चालू होने पर ही पर्ची देख सकता है।
तब भूषण ने कहा था कि मैं समझता हूं कि चुनाव एकदम नजदीक है। ऐसे में जल्द हमारी मांग पर अदालत को जल्द फैसला देना चाहिए।
2014 के लोकसभा चुनावों में लाई गई थीं VVPAT मशीनें
ECI की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा था कि EVM ऐसी मशीनें है जिनके साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती, लेकिन मानवीय त्रुटि की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
विपक्ष इंडिया गठबंधन ने भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए VVPAT की 100 % गिनती की मांग की है। VVPAT को पहली बार 2014 के लोकसभा चुनावों में पेश किया गया था और यह मूल रूप से EVM से जुड़ी एक मतपत्र-रहित वोट सत्यापन प्रणाली (Ballot-less Vote Verification System) है।