EVM banned for 20 years! आखिरकार ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को 20 साल के लिए बैन कर दिया गया है। कुछ इस तरह की एक न्यूज इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। जिसके संबंध में पीआईबी ने लोगों के लिए जानकारी देते हुए सतर्क किया है। पीआईबी के अनुसार एक वीडियो में दावा किया गया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को 20 साल के लिए बैन कर दिया गया है। इस तरह का दावा फर्ज़ी है। भारत सरकार से जुड़ी संदिग्ध जानकारी के लिए फोन नंबर- +918799711259 पर या फिर मेल आईडी [email protected] पर दें।
‘India Update’ नामक #YouTube चैनल की एक वीडियो में दावा किया गया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को 20 साल के लिए बैन कर दिया गया है#PIBFactCheck
◾यह दावा #फ़र्ज़ी है
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Electronic Voting Machine
बता दें कि चुनाव और चुनाव के बाद जिस चीज की सबसे ज्यादा चर्चा होती है वह है ईवीएम मशीन (Electronic Voting Machine)। दरअसल, EVM वोटों को रिकॉर्ड करने वाली एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है। जो बैटरी से चलती हैं। इसमें दो यूनिट होती हैं। पहली कंट्रोल और दूसरी बैलेटिंग यूनिट। दोनों एक दूसरे से पांच मीटर लंबी केबल से जुड़ी होती हैं। जब आप वोट डालने के लिए पोलिंग बुथ पर जाते हैं, तो चुनाव अधिकारी बैलेट मशीन के जरिए वोटिंग मशीन को ऑन करता है। इसके बाद ही आप अपने पसंदीदा उम्मीदवार के चुनाव चिन्ह के आगे वाले बटन को दबाकर वोट कर सकते हैं।
पहली EVM
पहले लोग बैलेट पेपर के जरिए वोट करते थे। लेकिन मतदान के दौरान हुई धांधली को देखते हुए चुनाव आयोग ने ईवीएम के जरिए चुनाव कराने का फैसला किया। भारत के लिए पहली ईवीएम, एमबी हनीफा ने बनाई थी और पहली बार इसका इस्तेमाल साल 1981 में केरल की परूर विधानसभा में 50 मतदान केंद्रों पर किया गया था। साल 1988 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन कर नई धारा 61ए जोड़ी गई। इस संशोधन के जरिए चुनाव आयोग को मतदान में ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल करने का अधिकार दिया गया। पहले लोग बैलेट पेपर के जरिए वोट करते थे।