बिहार राज्य में आज भी बढ़ती ही आबादी समस्या बरकरार है। इसकी बड़ी वजह है यहां के लोगों की मानसिक धारणा जिसे लोग सालों से मानते आ रहे हैं। लोगों के मुंह पर अक्सर ही ये बातें सुनने में आती है कि परिवार को आगे बढ़ाने के लिए बेटा तो चाहिए ही है।
बेटी भले कितनी भी हो जाए लेकिन बेटा तो चाहिए ही होगा। आज भी बिहार की आबादी का बड़ा हिस्सा बेटे की चाहत में बच्चों को पैदा करता है। जिससे यहां की जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है।
आज भी बिहार के लोगों के सामने बेटे की ही प्राथमिका की बात आती है। आइए जानते हैं क्या कहती है सर्वे रिपोर्ट बिहार की जनसंख्या में कमी नहीं हुई है प्रजनन दर भी नहीं घटी है। यहां के लोगों में बेटी को बेटो से कमतर आंका जाता है। यहीं वजह है कि यहां की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है।
फिलहाल बिहार की प्रजजन दर 3 फीसदी है लेकिन संभावना जताई जा रही कि यह 2.3 पर भी आ सकती है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार पहले प्रजजन दर 4 पर थी फिर ये घटते हुए 3 पर आई है। अब लोग 2 बेटियों के होने के बावजूद भी तीसरी संतान कर रहे है ताकि उन्हें बेटे की प्राप्ति हो सके । यहीं कारण है कि राज्य की जनसंख्या में धीमी गति से कमी आ रही है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट
राज्य में निवास करनी वाली 31 प्रतिशत महिलाएं आज भी बेटे की चाहत रखती हैं। वहीं 22 फीसदी पुरुष बेटी की जगह बेटे को प्राथमिकता देते है। वहीं राज्य के 70 प्रतिशत लोग बेटे होने की इच्छा रखते हैं। साथ ही 91 प्रतिशत महिलाएं भी बेटे की चाहत रखती है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, 83 महिलाएं ऐसी हैं, जो अपने दो बेटे होने के बाद तीसरी संतान नहीं चाहती हैं। वहीं 73 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जो एक बेटा होने के बाद आगे संतान नहीं चाहती हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि सिर्फ बेटे की चाह की वजह से जनसंख्या पर कोई खास कंट्रोल नहीं हो पा रहा है।
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