Enemy Property: जल्द ही मोदी सरकार शत्रु संपत्ति बेचकर अपना खजाना भरने जा रही है। देश में करीब 10 हजार से अधिक ऐसी संपत्तियां है जिन्हें मोदी सरकार बेंचकर अपना खजाना भरेगी। इससे पहले भी साल 2018 में ऐसी संपत्तियों को बेंचकर केंन्द्र सरकार ने 3 हजार करोड़ रूपये कमाएं थे, लेकिन क्या आप जानते है कि आखिर शत्रु संपत्ति क्या होती है? और क्यों मोदी सरकार इन्हें बेंचने जा रही है, आइए जानते है।
जानिए क्या होती है शत्रु संपत्ति?
दरअसल, भारज की आजादी के बाद जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था, तब कई लोग अपनी संपत्ति छोड़कर पाकिस्तान में जा बसे थे। ऐसी संपत्तियों को भारत सरकार ने शत्रु संपत्ति घोषित किया है। भारत सरकार ने 10 सितंबर 1959 को एक आदेश जारी किया था। इसके बाद सराकर ने शत्रु संपत्ति के संबंध में दूसरा आदेश 18 दिसंबर 1971 को जारी किया था। अब बात करते है की इन्हें शत्रु संपत्ति क्यों कहा गया, आसान में शत्रु संपत्ति वह संपत्ति होती है जिसमें संपत्ति का दुश्मन कोई व्यक्ति ना होकर देश होता है। जब भारत-पाक का बंटवारा हुआ था तब करोड़ों लोग पाकिस्तान चले गए थे, लेकिन वह अपनी संपत्ति भारत में ही छोड़ गए। इसलिए ऐसी संपत्ति को शत्रु संपत्ति नाम रखा गया। इस संपत्तियों को भारत सराकार ने अपने कब्जे में ले रखा है।
इतनी हैं शत्रु संपत्तियों की कीमत
खबरों के अनुसार भारत सरकार ने करबी 9,400 संपत्तियों की पहचान की है। जिनकी कीमत करीब 1 लाख करोड़ रूपये आंकी गई है। आपको बता दें कि इन संपत्तियों के लिए भारत सरकार ने 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम पारित कराया था, लेकिन बाद में मोदी सरकार ने इसमें संशोधन कर दिया। जिसके तहत ऐसी संपत्तियों के मालिकान को अपनी जायदाद के रख-रखाव के लिए कुछ अधिकार दिए गए है।
मोदी सरकार ने यह भी संशोधित किया है कि अब ऐसे लोग भी शत्रु माने जाएंगे जो भले ही भारत के नागरिक है, लेकिन उन्हें विरासत में मिली संपति किसी पाकिस्तानी के नाम है। साथ ही संशोधन में ऐसी संपत्ति को बेचने का अधिकार सरकार को भी दिया गया है।