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MP Election 2023: कहते है सड़कें अपने साथ कामयाबी लाती है जमीन के किसी हिस्से पर सड़क के बिछते ही एक पूरे इलाके, सूबे, मुल्क या यूं कहे कि वहां के बासिन्दे कि तक़दीर बदल जाती है. इस लिहाज से देखे तो सड़कें तरक्की की सीढ़ी के मानिंद है ये आम और खास की जिंदगी को ऊपर उठाती हैं, तरक्की के रास्ते पर दौड़ा देती है.
हम बात कर रहे हैं दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे की. इस सड़क ने शुरू होने से पहले ही आस-पास बसने वालों के मन में मानो ख्वाबों के पर लगा दी हों.
कई जिलों और कस्बों से गुजर रहा एक्सप्रेस-वे
मध्य प्रदेश में ये एक्सप्रेस-वे करीब 250 किमी के रास्ते से होकर गुजर रहा है. जिसमे मंदसौर, रतलाम और झाबुआ जैसे जिले आ रहे है. तो वहीँ गरोठ, जावरा, और थान्दला जैसे कस्बे इसके रास्ते में पड़ते है. इस एक्सप्रेस-वे के बनने से सुविधा और रोजगार के नए अवसर मिलेंगे.
ये एक ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे है. इसके आस-पास पेड़ों कि लम्बी कतारों से हरियाली कि एक चादर बिछ जाएगी, उसके बाद इसकी रंगत में और निखार आयेगा.
बेहिसाब टोल प्लाजा है बड़ी दिक्कत
ये सच है कि मध्य प्रदेश में सड़के बेहतर हुई हैं, नए और आधुनिक हाईवे सफ़र को छोटा और आसान भी बना रहे हैं, लेकिन बेहिसाब टोल प्लाजा एक बड़ी दिक्कत है कुछ सौ किलोमीटर पर ही कई-कई बार टोल चुकाना महंगा पड़ता है, अन्य राज्यों के अपेक्षा मध्यप्रदेश में देना होता है ज्यादा टोल.
अपनी जमीन तक पहुँचने में होती है मुश्किल
जब सड़क बनी तो खेत बट गए, किसानों कि एक बड़ी समस्या ये बटवारा भी बना. किसी कि कुछ जमीन एक्सप्रेस-वे के एक तरफ है तो बाकी दूसरी तरफ और वहां तक जाना मुश्किल हो गया है. इसके चलते अपनी ही जमीन तक जाने के लिए मालिकों को कई किलोमीटर तक का लम्बा रास्ता तय करना पड़ रहा है.
इसके लिए और जादे अंडरपास बनाये जाने चाहिए थे. इस समस्या को लेकर किसानों ने जिले के कलेक्टर से सिकायत की. उसके बाद कलेक्टर ने एक प्लान बना कर सरकार को भेजा है अब ये प्लान पास होगा तभी किसानों राहत मिल पायेगी.
दो-तीन गुना बढ़ी जमीन की कीमतें
जमीन कि कीमतों में भी बड़ा फरक देखने को मिला है, जहां पहले के अपेक्षा 2-3 गुना हो गयी है कीमत. जो 10 साल पहले जमीनें एक से डेढ़ लाख रूपए में बिकती थी वहीँ अब 20-25 लाख में बिक रही हैं.
सैलाना में कॉलेज की छात्राओं की सरकार से उम्मीदें
सैलाना में कॉलेज में पढने वाली कुछ छात्राओं ने इस 8 लेन एक्सप्रेस-वे के सवाल पर कुछ खास दिलचस्पी नहीं दिखाई बल्कि उन्होंने कहा कि उनको सरकार से उम्मीदें है कि उनके गाँव में एक अच्छा कॉलेज खुले,
जिससे वह आसानी से कॉलेज कि पढाई के सकें क्योंकि दूर पढाई के लिए पेरेंट्स भेजते नहीं है और कई परिवार कि आर्थिक स्थिति भी इतनी नहीं होती कि वो कही दूर भेज पढ़ा सकें.
सैलाना के विधायक ने एक्सप्रेस-वे को बताया नुक्सानदायक
वहीँ, सैलाना से विधायक ‘हर्ष विजय गहलोत’ का कहना है कि उनके इलाके को इस एक्सप्रेस-वे से कोई फायदा नहीं होने वाला है.
उन्होंने कहा, “सैलाना में सारी मूलभूत आवश्यकताओं कि पूर्ती हो चुकी है और एक्सप्रेस वे से हमारे क्षेत्र में कोई असर नहीं होना है क्योंकि कोई आदिवासी एक्सप्रेस-वे पे नहीं जायेगा. एक्सप्रेस-वे एक तरीके से हमारे लिए नुक्सानदायक साबित हुआ है.”
जावरा के विधायक ने एक्सप्रेस-वे को कहा ‘जीवन रेखा’
जावरा के विधायक राजेंद्र पाण्डेय से इस एक्सप्रेसवे को लेकर बातचीत होती है इस योजना को लेकर उनका ख्याल बहुत पॉजिटिव है.
उन्होंने कहा, “अगर राजनितिक रूप से बात करे तो निश्चित रूप से ये विकास को गतिमान करेगा और उसी के साथ मैं ये संलग्न करूँगा कि ये जहां-जहां से गुजरेगा वह समूर्ण क्षेत्र में वहां कि जीवन रेखा के बारे में जाना जायेगा.
उन्होंने आगे कहा, “जीवनरेखा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि ये लगभग 75 किलोमीटर में बहुत सारे संसाधन, सुविधाएं और रोजगार मूलक कार्य को जन्म देगा.”
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