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शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट में खुलासा: 1211 सरकारी स्कूलों में नहीं हैं कोई विद्यार्थी, फिरभी 1924 शिक्षक पदस्थ

Education Ministry Revealed Report: मध्य प्रदेश के अधिकांश सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर काफी खराब है। यहां अधिकांश सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर चिंताजनक है।

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Shashank Kumar
MP Education Ministry

Education Ministry Revealed Report: मध्य प्रदेश के अधिकांश सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर काफी खराब है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की 2023-24 की रिपोर्ट ने प्रदेश में स्कूली शिक्षा की वास्तविक स्थिति उजागर कर दी है, जो कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के वादों और दावों के विपरीत है।

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रिपोर्ट (Education Ministry Revealed Report) में बताया गया है कि राज्य में 1,211 सरकारी स्कूल ऐसे थे जहां एक भी छात्र नामांकित नहीं था। हैरानी की बात यह है कि इन स्कूलों में पढ़ाने के लिए 1,924 शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। वहीं, राज्य शिक्षा केंद्र के पोर्टल के अनुसार, 2024-25 में बिना छात्रों वाले स्कूलों की संख्या में चार गुना से अधिक की वृद्धि हुई है, जो अब बढ़कर 5,500 हो गई है।

MP में एक लाख 23 हजार से अधिक सरकारी स्कूल 

शिक्षा सत्र 2023-24 पर केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में कुल एक लाख 23 हजार 412 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें 6 लाख 39 हजार 525 शिक्षक नियुक्त हैं। इन स्कूलों में पहली से 12वीं कक्षा तक कुल एक करोड़ 53 लाख 61 हजार 543 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। इस आधार पर मध्य प्रदेश देश का चौथा सबसे बड़ा राज्य है। 

MP में शिक्षकों का वितरण असमान

राष्ट्रीय शिक्षा फ्रेमवर्क के अनुसार, आदर्श स्थिति में 30 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक होना चाहिए, जबकि मध्य प्रदेश में औसतन 24 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक है, जो आदर्श से बेहतर है। लेकिन, शिक्षकों का वितरण असमान है।

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1,211 स्कूल ऐसे हैं जहां कोई भी विद्यार्थी नहीं है, लेकिन इन स्कूलों में 1,924 शिक्षक तैनात हैं। वहीं, 13,198 स्कूल ऐसे हैं जो केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, और इनमें पांच लाख 87 हजार 208 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं।

एक साल में घटे सात लाख विद्यार्थी

शिक्षा विभाग के 2024-25 की रिपोर्ट के अनुसार, पहली से आठवीं कक्षा में 56 लाख विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 63 लाख थी। यानी एक साल में सात लाख विद्यार्थी कम हो गए हैं।

विभाग ने इसके कुछ कारण बताए हैं:

  • बच्चों का अपने माता-पिता के साथ काम के सिलसिले में अन्य स्थानों पर चले जाना।
  • समग्र आईडी से सही मैपिंग न होने के कारण।
  • स्थान परिवर्तन के कारण बच्चों का सही से ट्रैक न हो पाना।
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स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव ने क्या कहा?

वहीं जब स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. संजय गोयल से पूछा गया कि पिछले सत्र में 1211 स्कूलों में शून्य प्रवेश हुआ था, तब वहां 1924 शिक्षक थे। तो जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि एक किमी के भीतर शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है, इसमें बच्चे कम भी हो तो भी स्कूल खुले रहेंगे।

इसके अलावा उन्होंने 5500 स्कूलों की पहली कक्षा में शून्य प्रवेश पर जवाब देते हुए कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत पहली कक्षा के लिए उम्र सीमा छह वर्ष तय हुई है। इस साल इस समयसीमा को कड़ाई से लागू किया गया है। इसकी वजह से विद्यार्थी कम हुए है। अगले सत्र से यह ठीक हो जाएगा।

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प्रदेश के 13, 198 स्कूलों में एक ही शिक्षक वाले सवाल पर स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव ने कहा कि रिपोर्ट में जहां शिक्षकों की कमी दिख रही है वहां अतिथि शिक्षकों को लगाया गया है, वे नियमित की गिनती में नहीं आते। इसलिए ऐसा आता है।

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