Earth Second Moon: धरती से आसमान में देखने पर सबसे खुबसूसरत कुछ दिखता है तो वह चांद है। लेकिन, क्या हो अगर एक ही धरती के पास दो चांद हो? दरअसल, दो महिने पहले धरती के ऑर्बिट में एक मिनी मून आ गया था।
लेकिन अब यह 25 नवंबर 2024 को पृथ्वी को छोड़कर अंतरिक्ष में निकल गया है। 2024 PTS नाम का ये मिनी मून 29 सिंतबर से 25 नवंबर तक हमारी धरती की ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा था।
क्या ये फिर लौटेगा?
2024 PTS (Earth Second Moon) वो चांद है जो दो महीने तक धरती का मेहमान था। हालांकि अब यह हमारे घर को छोड़कर अंतरिक्ष की अनंत यात्रा पर निकल गया है। लेकिन अगले साल जनवरी में धरती के बगल से फिर गुजरने की संभावना है।
तब धरती से इसकी दूरी 17.8 लाख किलोमीटर होगी। इसे कैलिफोर्निया के मोजावे रेगिस्तान में लगा गोल्डस्टोन सोलर सिस्टम राडार एंटीना ट्रैक कर रहा है। इसके अलावा नासा का डीप स्पेस नेटवर्क भी इस पर लगातार नजर रख रहा है।
यह एक एस्टेरॉयड बेल्ट का हिस्सा
अब अपने घर की ओर जा रहा यह मिनी मून एक एस्टेरॉयड बेल्ट का हिस्सा है, जिसका नाम अर्जुन एस्टेरॉयड बेल्ट है। यह धरती और सूरज के बीच मौजूद है, जो एक बस के आकार का है। यह बेल्ट सूरज से 15 करोड़ km की दूरी पर स्थित है। लगभग उतनी ही दूरी जितनी धरती की सूरज से है।
मैड्रिड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कार्लोस डेला फ्यूएंटे मार्को कहते हैं कि अर्जुन एस्टेरॉयड बेल्ट की दिशा अलग है। इस बेल्ट में मौजूद पत्थर आमतौर पर नीयर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स हैं।
इनमें से कुछ पत्थर धरती के बेहद नजदीक चले आते हैं, लगभग 45 लाख km की दूरी तक जिनकी गति 3540 km/hr तक हो सकती है।
क्या होते हैं मिनी-मून?
मिनी-मून (Earth Second Moon) दो तरह से पृथ्वी के नजदीक आते हैं। पहली ये कि कोई वस्तु आकर धरती की ग्रैविटी में फंस जाए कि वह कुछ समय तक निकल ही न पाए और पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाता रहे। दूसरा ये कि कम समय के लिए कोई पत्थर आए और धरती का आधा या एक चक्कर लगाकर निकल जाए। ये पत्थर कुछ दिनों से कुछ हफ्तों तक रुकते हैं।
ये हैं वो मिनी-मून जो पहले भी घूम गए पृथ्वी
अब तक दो बार लंबे समय के लिए दो पत्थर मिनी-मून बने थे। पहला 2006 RH120 और 2020 CD3। इसके अलावा तीन छोटे-छोटे समय के लिए फंसे थे, ये हैं- 1991 VG, 2022 NX1। दुनियाभर के वैज्ञानिक एक बार फिर इस मिनी-मून के आने का इंतजार कर रहे हैं और इसके रास्ते और व्यवहार की स्टडी में लगे हुए हैं।
लेकिन, अगर आप सोंच रहे हैं कि ये हमें क्यों नहीं दिखे तो बता दें, इसे आप साधारण टेलिस्कोप या दूरबीन से नहीं देख सकते। इसे देखने के लिए कम से कम 30 इंच डायमीटर वाला सीसीडी या सीएमओएस डिटेक्टर टेलिस्कोप चाहिए।
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