Ear Wax : कान का मैल करेगा कान की सफाई! जान कर हैरान रह जाएंगे आप

नई दिल्ली। वैसे तो हम कान के मैल Ear Wax को साफ करने पर तुले रहते हैं। जिसको देखों कॉटन बड्स हो या माचिस की सींक। सभी से कानों की सफाई करते हैं। पर क्या आपको पता है यही कान का मैल हमारे कानों की सुरक्षा के लिए कितना जरूरी है। अगर ये मैल नहीं हो तो आपको हर दूसरे दिन डॉक्टर के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं। यही मैल आपके कान के लिए सबसे जरूरी चीज है। आइए जानते हैं कैसेे। इसका मेडिकल शब्द सिरूमन है और डॉक्टरों की मानें तो यह आपके कान के लिए सबसे जरूरी है
बैक्टीरिया से बचाता है मैल
कान में पाए जाने वाले मैल का चिकित्सीय शब्द सिरूमन है। दरअसल यह सिरूमन कान के अंदर उपस्थित एक नली में मौजूद ग्रंथियों द्वारा बनाया जाता है। इसे वैक्स भी कहा जाता है। जो नारंगी, भूरे व लाल और पीले आदि रंगों की होती है। कान का यही मैल है जो आपको पानी, फंगस और बैक्टीरिया से बचाता है। इतना ही नहीं यह मैल ही उस नली की उपरी सतर को सूखने से रोकने में मदद करता है। साथ ही इसी के द्वारा वे नलियां अपनी सफाई खुद ही कर लेती हैं।
वैक्स की वजह से इसलिए पैदा हो जाती है समस्या
विशेषज्ञों की मानें तो यह मैल समस्या तब पैदा करता है जब यह अधिक मात्रा में बनने लगता है। वैसे तो खाना चबाने पर जबड़ा के घुमाव के कारण यह मैल पर्दे से छेद की ओर बढ़ कर बाहर निकल जाता है। इसके विपरीत जब अधिक मात्रा में इसके बनने से कान में दर्द शुरू हो जाता हैं और जब इसे कॉटन बड्स द्वारा साफ किया जाता है तो ये बाहर न निकलकर और अधिक अंदर चला जाता है।
इन तरीकों से बिल्कुल न करें सफाई, वरना हो सकती है परेशानी
ईयर ड्राप्स भी हो सकते हैं खतरनाक
विशेषज्ञों की मानें तो लोग अपने मन से ही तरह—तरह के ईयर ड्राप्स डालकर कान की सफाई में जुट जाते हैं। जबकि ऐसा कतई न करें। दरअसल इसमें पाए जाने वालेे तो इसके लिए उपयोग किए जाने वाले हाइड्रोजन पेरोक्साइड, सोडियम बाइकार्बोनेट या सोडियम क्लोराइड जैसे तत्व आपके स्किन को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा बाजार में आने वाली इयर कैंडल्स का भी उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
ऐसी स्थिति में हो सकता है फंगस
कई बार लोग कान की सफाई करने के लिए बार—बार कॉटन बड्स का उपयोग करते हैं। ये स्थिति आपके लिए परेशानी कम करने की बजाए बढ़ा भी सकती है। दरअसल होता क्या है। जब भी आप इनका उपयोग करते हैं तो कई बार मैल साफ होने की बजाए अंदर की तरफ चला जाता है। इसमें उपयोग होने वाली स्टिक अगर पर्दे को छू जाएं तो कान का पर्दा फट भी सकता है। इतना ही नहीं इसकी रूई कान के अंदर ऐसी जगह पर चिपक जाती है जहां से सफाई करना बेहद मुश्किल होता है। ऐसे में फंगस होने का खतरा और अधिक बढ़ जाता है।