Kanker Kanharpuri Dussehra: छत्तीसगढ़ कांकेर के कन्हारपुरी गांव में अनोखा दशहरा मनाया जाता है। संविधान पुरूष ठाकुर रामप्रसाद पोटाई की याद में देव दशहरा मिलन समारोह रखा गया। गांव के स्कूल मैदान में कई तरह के कार्यक्रम हुए। इनमें खेलकूद प्रतियोगिता से लेकर खत्म होती परम्पराओं की भी झलक देखने को मिली।
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— Bansal News (@BansalNewsMPCG) October 11, 2024
रामप्रसाद पोटाई आजादी(Kanker Kanharpuri Dussehra) के महान सिपाही थे। कांकेर रियासत के फरसों गांव में उनका जन्म हुआ था। 1944 में पोटाई जी ठाकुर प्यारेलाल सिंह जी के संपर्क में आए और राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ गए। 1948 में उन्हें संविधान निर्मात्री सभा का सदस्य बनाया गया।
एक संपन्न परिवार से थे पोटाई
उनके पिता घनश्याम सिंह पोटाई (Kanker Kanharpuri Dussehra) एक संपन्न मालगुजार थे। पोटाई जी ने कांकेर में स्कूली शिक्षा प्राप्त की और हिस्लॉप कॉलेज नागपुर से 1944 में बी.ए.एल.एल.बी. की परीक्षा पास की। इसके बाद वे आजादी के आंदोलनों में अपनी सहभागिता देने लगे। इसके बाद उन्हें 1948 में संविधान निर्मात्री सभा का सदस्य बनाया गया था।
कांकेर में ग्रहण की स्कूली शिक्षा
नीकेश हिचाम ने बताया कि रामप्रसाद पोटाई (Kanker Kanharpuri Dussehra) एक महान व्यक्तित्व थे। जिनका जन्म कांकेर रियासत के फरसों गांव में 1920 में हुआ था। उनके पिता घनश्याम सिंह पोटाई एक संपन्न मालगुजार थे। पोटाई जी ने कांकेर में स्कूली शिक्षा प्राप्त की और हिस्लॉप कॉलेज नागपुर से 1944 में बी.ए.एल.एल.बी. की परीक्षा पास की।
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उनका राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान
राष्ट्रीय आंदोलन में प्रवेश: 1944 में पोटाई (Kanker Kanharpuri Dussehra) जी ठाकुर प्यारेलाल सिंह जी के संपर्क में आए और राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ गए।
कांग्रेस पार्टी की स्थापना: 1945 में कांकेर में कांग्रेस पार्टी की स्थापना हुई।
कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष: पोटाई जी को कांग्रेस पार्टी के कांकेर शाखा का अध्यक्ष बनाया गया।
ब्रिटिश साम्राज्यवादी नीति की आलोचना: उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्यवादी नीति की हमेशा आलोचना की थी।
उनका संविधान निर्माण में योगदान
संविधान निर्मात्री सभा का सदस्य: 1948 में उन्हें संविधान निर्मात्री सभा का सदस्य बनाया गया।
कांग्रेस जनपद सभा अध्यक्ष: उसी वर्ष 1948 में ही वे कांग्रेस जनपद सभा के अध्यक्ष बने।
विलीनीकरण आंदोलन: उनके नेतृत्व में विलीनीकरण के लिए भी आंदोलन चलाया गया था।
कुल मिलाकर, रामप्रसाद पोटाई ने कांकेर रियासत की जनता में जनजागृति लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका देहावसान 6 अक्टूबर, 1962 को हो गया।
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