ओरछा: निवाड़ी जिले के ओरछा में यहां पर है रामराजा का मंदिर ओरछा के राजाधिराज भगवान राम जहां भगवान राम को दी जाती है सशस्त्र सलामी मगर भगवान राम के अयोध्या से ओरछा पहुंचने की कहानी बड़ी दिलचस्प है। भगवान राम ओरछा की महारानी की जिद के सामने बेबस होकर ओरछा पहुंचे थे। किस्सा कुछ यूं है। यूं कहे कि किवदंती है, ओरछा के महाराज मधुकरशाह कृष्णभक्त थे और महारानी कुंअर गणेश रामभक्त थी। एक दिन राजा और रानी के बीच अपने दो आराध्य देव की प्रशंसा को लेकर तकरार हुई।
इसके बाद महारानी कुँअर गणेश अयोध्या पहुंची। सरयू नदी के किनारे तपस्या की, जब भगवान राम के दर्शन नहीं हुए तो सरयू में छलांग लगाकर प्राण देने की कोशिश की तभी भगवान राम ने दर्शन दिए महारानी ने भगवान राम को अपनी शर्त के बारे में बताया तो भगवान राम ने भी शर्त रख दी।
इधर राजा को पता चला कि महारानी भगवान राम को लेकर पहुंच रही है तो एक भव्य मंदिर का निर्माण शुरू कर दिया गया। मगर महारानी राम को लेकर जब ओरछा पहुंची तो रात हो चुकी थी और महल के भोजन कक्ष में राम की मूर्ति को रख दिया गया। जब मंदिर पूरा बना तो राम भोजन कक्ष से टस से मस नहीं हुए इसलिए महल को ही राम मंदिर बना दिया गया और बन गया राम राजा मंदिर।
सतयुग में राजा दशरथ भगवान श्रीराम का राजतिलक नहीं कर पाए थे। इसलिए लोगों ओरछा के महाराज मधुकर शाह को राजा दशरथ और उनकी पत्नी महारानी गणेश कुंअर को महारानी कौशल्या के रूप में मानते है। जिन्होंने अपना राजपाट भगवान राम को सौंप दिया। आज भी रामराजा को सशस्त्र सलामी दी जाती है.. पूरी दुनिया में ऐसा किसी मंदिर में नहीं होता।