Navratri 2021 : दुर्गाष्टमी कल, वंश वृद्धि के लिए होगा कल देवी पूजन -

Navratri 2021 : दुर्गाष्टमी कल, वंश वृद्धि के लिए होगा कल देवी पूजन

ashtmi poojan

भोपाल। नवरात्र में अष्टमी और नवमीं पूजन का durgaashtamee kal, vansh vrddhi ke lie hoga kal devee poojan  विशेष महत्व होता है। परिवार में इस दिन कुल देवी की पूजा की जाती है। जिन्हें प्रसन्न करने के लिए कल यानि मंगलवार को कुल देवी का पूजन किया जाएगा। किसी के यहां अष्टमी तो किसी के यहां नवमीं के दिन कुल देवी का पूजन किया जाता है। अष्टमी पूजन से हर तरह के कष्ट से मुक्ति मिलती है और घर में दरिद्रता नहीं आती। इस बार अष्टमी मंगलवार यानि 20 अप्रैल को है। इसके बाद 21 अप्रैल को राम नवमीं के साथ ही माता की आराधना का पर्व समाप्त हो जाएगा। मार्कंडेय पुराण में देवी पूजन का महत्व बताया गया है।

सारी चीजों का मूल है कुल
पंडित रामगोविन्द शास्त्री के अनुसार कुल देवी का पूजन हर घर में होता है। कहीं अष्टमी तो कहीं नवमी के दिन मां का पूजन किया जाता है। कुल का मतलब है सभी चीजों का मूल। कुल देवी का प्रसन्न करने से सभी कष्ट दूर होते हैं।

नहीं दिखाते ज्योति

घर के पूजन होने पर कुल देवी के नाम की ज्योति जलाई जाती है इसे परिवार में लड़कियों को नहीं दिखाई जाती है। क्योंकि उन्हें विवाह के बाद वे दूसरे कुल की हो जाती हैं। घर के बाहर के लोगों को भी ज्योति नहीं दिखाई जाती है।

संकल्प लेकर अष्टमी को कर दे कन्या पूजन
इस बार कन्या पूजन न भी कर पाएं तो दोष नहीं लगेगा। महामारी के चलते अष्टमी पर कन्या पूजन का संकल्प लेकर आने वाले किसी भी महीने में शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि पर कन्या का पूजन कर भोजन करवाया जाए तो देवी प्रसन्न होंगी। साथ ही इस अष्टमी पर किसी जरूरतमंद को खाना खिलाया जा सकता है।

अष्टमी पूजा का महत्व
अष्टमी तिथि पर अनेक प्रकार के मंत्रो और विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इस दिन मां दुर्गा से सुख, समृद्धि, यश, कीर्ति, विजय, आरोग्यता की कामना करनी चाहिए। मां दुर्गा का पूजन अष्टमी व नवमी को करने से कष्ट और हर तरह के दुःख मिट जाते हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती। यह तिथि परम कल्याणकारी, पवित्र, सुख को देने वाली और धर्म की वृद्धि करने वाली है।

मां के शस्त्रों की पूजा और कन्या भोजन का भी है महत्व
अष्टमी को विविध प्रकार से मां शक्ति की पूजा करें। इस दिन देवी के शस्त्रों की पूजा करनी चाहिए। इस तिथि पर विविध प्रकार से पूजा करनी चाहिए और विशेष आहुतियों के साथ देवी की प्रसन्नता के लिए हवन करवाना चाहिए। इसके साथ ही 9 कन्याओं को देवी का स्वरूप मानते हुए भोजन करवाना चाहिए। दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा को विशेष प्रसाद चढ़ाना चाहिए। पूजा के बाद रात्रि को जागरण करते हुए भजन, कीर्तन, नृत्यादि उत्सव मनाना चाहिए। ज्योतिष में अष्टमी तिथि को बलवती और व्याधि नाशक तिथि कहा गया है। इसके देवता शिवजी हैं। इसे जया तिथि भी कहा जाता है। नाम के अनुसार इस तिथि में किए गए कामों में जीत मिलती है। इस तिथि में किए गए काम हमेशा पूरे होते हैं। अष्टमी तिथि में वो काम करने चाहिए जिसमें विजय प्राप्त करनी हो। मंगलवार को अष्टमी तिथि का होना शुभ माना जाता है। वहीं श्रीकृष्ण का जन्म भी अष्टमी तिथि पर ही हुआ था।

 

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