शिक्षक संदर्भ समूह द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन हेतु राज्य स्तरीय अकेडमिक परिषद ( स्टेट लेवल अकेडमिक काउंसिल ऑफ टीचर्स) का गठन किया गया है। इस बारे में समूह द्वारा प्रक्रियागत सहमति प्राप्त कर ली गई है। इस परिषद में समूह के सभी जिला समन्वयक और सह समन्वयक शामिल रहेंगे साथ ही कुछ विषय विशेषज्ञ भी रहेंगे। परिषद की प्रथम बैठक आयोजित किए जाने पर विचार किया जा रहा है।
शिक्षक संदर्भ समूह शिक्षकों का रचनात्मक मैत्री समूह है जो शिक्षकों का मनोबल बढ़ाने के लिए कार्य कर रहा है। 5 सितम्बर 2010 को गठित हुए समूह द्वारा शिक्षाविद गिजू भाई जी के दर्शन, विचार और कार्य को प्रभावी बनाने की दिशा में सक्रिय रूप से काम किया जा रहा है। समूह द्वारा संचालित अभियान मेरा विद्यालय मेरी पहचान अंतर्गत विद्यालय को आनंद घर में रूपांतरित करने वाले शिक्षकों को शिक्षाविद गिजू भाई सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है। प्रति वर्ष गुरु पूर्णिमा से बसंत पंचमी तक संचालित अभियान में शामिल हो कर अपने विद्यालय को आनंद घर में रूपांतरित करने वाले शिक्षकों को ही यह सम्मान दिया गया है।
शिक्षक संदर्भ समूह द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का अध्ययन किया गया है। इस नीति के अध्याय 2 के अनुसार एफ एल एन एक तात्कालिक आवश्यकता है।
यह भविष्य में सीखने की पूर्व शर्त भी है। एफ एल एन के अनुसार प्रत्येक छात्र को कक्षा 3 तक मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान को प्राप्त करना चाहिए। नीति में कहा गया है कि सीखने की बुनियादी आवश्यकताओं (मूलभूत स्तर पर पढ़ना, लिखना और अंक गणित) को हासिल करने पर ही हमारे विद्यार्थियों के लिए यह नीति प्रासंगिक होगी। इसी प्रकार नीति में प्रस्तावित है कि वर्ष 2025 तक प्राप्त किए जाने वाले चिन्हित कार्यों और लक्ष्यों की पहचान करते हुए उसकी प्रगति को बारीकी से जांच और निगरानी करते हुए एक क्रियान्वयन योजना बनाई जाएगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में वर्णित एफ एल एन के लिए सर्व प्रथम
1. शिक्षकों के रिक्त पदों को भरा जाएगा। जहां साक्षरता दर कम हो वहां स्थानीय भाषा से परिचित शिक्षकों को नियुक्त किया जाएगा। प्रत्येक स्कूल में पी टी आर 30 : 1 से कम हो यह सुनिश्चित किया जाएगा। शिक्षकों को सतत व्यावसायिक विकास के साथ संबलित, उत्साहित और प्रशिक्षित किया जाएगा।
2. एक मजबूत सतत रचनात्मक और अनुकूल मूल्यांकन प्रणाली के साथ विशेष रूप से प्रत्येक बच्चे का सीखना ट्रैक किया जाएगा और सामान्यत: पढ़ने, लिखने, बोलने, गिनने अंक गणित और गणितीय चिंतन पर अधिक ध्यान केन्द्रित होगा। मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान पर नए सिरे से जोर देने के लिए शिक्षक शिक्षा और प्रारंभिक ग्रेड पाठ्यचर्या को नए सिरे से डिजाइन किया जाएगा।
3. कक्षा 1 के बच्चों के लिए 3 महीने का प्ले आधारित स्कूल तैयारी मॉड्यूल बनाया जाएगा जिसमें गतिविधि और वर्कबुक होगी जिसमें अक्षर, ध्वनियां, शब्द, रंग, आकार, संख्या आदि शामिल होंगे।
4. दीक्षा पर बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान पर उच्चतर गुणवत्ता वाले संसाधनों का भंडार उपलब्ध कराते हुए तकनीकी दखल को शिक्षकों के लिए एक मदद के रूप में लागू किया जाएगा।
5. सहपाठी शिक्षण के लिए स्थानीय और गैर स्थानीय प्रशिक्षित वोलेंटियर को समुदाय के सदस्य के रूप में छात्रों को पढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध किया जाएगा। साथ ही शिक्षकों को समर्थन देने के लिए अन्य कार्यक्रम भी शुरू कर सकते हैं।
6. सभी भाषाओं में दिलचस्प और प्रेरणास्पद बाल साहित्य सभी स्तर के विद्यार्थियों के लिए स्कूल और स्थानीय पुस्तकालयों में बड़ी मात्रा में पुस्तकें उपलब्ध कराईं जाएंगी। पढ़ने की संस्कृति के निर्माण के लिए सार्वजनिक और स्कूल पुस्तकालयों का विस्तार किया जाएगा। गांवों में स्कूल लाइब्रेरी की स्थापना की जाएगी।
7. सभी विद्यालय के बच्चे स्कूलों द्वारा आयोजित नियमित स्वास्थ्य जांच में भाग लेंगे और इसके लिए बच्चों को स्वास्थ्य कार्ड जारी किए जाएंगे। सभी बच्चों को सुबह और दोपहर में पौष्टिक नाश्ता और भोजन दिया जाएगा। सभी स्कूली बच्चों की विशेष रूप से 100 प्रतिशत टीकाकरण के लिए स्कूलों में नियमित स्वास्थ्य जांच कराई जाएगी और इसकी निगरानी के लिए हेल्थ कार्ड जारी किए जाएंगे। मध्य प्रदेश में संचालित एफ एल एन की प्रक्रियागत कार्यवाही से अभी जैसे परिणाम प्राप्त होने चाहिए थे वैसे सम्भव नहीं हो पा रहे हैं। ऐसा अभी जारी रिपोर्ट से पता चला है कि आधे से कम बच्चे ही सीख पा रहे हैं जबकि यह जरूरी है कि सभी बच्चे सीखते हुए आगे बढ़ें।
तनाव देने से कमजोर पड़ रहा शिक्षकों का मनोबल
शिक्षकों ने बताया कि शिक्षा अधिकारी वर्ग शिक्षकों को अपने अधीन मानते हुए अब अनेक प्रकार के तनाव देते हैं जिस कारण शिक्षकों का मनोबल कमजोर पड़ रहा है और वे बढ़ते तनाव के कारण अपनी सामर्थ्य का पूरा उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। शिक्षकों से मिले फीडबैक में यह बात भी कही गई है कि शिक्षकों के साथ यदि प्रशासनिक अधिकारी वर्ग सद्भावना पूर्वक सहयोगी भाव रखकर उन्हें अपने विद्यालय में बच्चों को सीखने में मदद करने के लिए तैयार करें तो इसके परिणाम बहुत अच्छे आएंगे।
शिक्षकों ने निर्णय लिया है कि अब शिक्षक खुद ही अपने लिए शैक्षिक कार्यक्रम तैयार करेंगे और उसे लागू करने के लिए भी सकारात्मक पहल भी करेंगे। बताया गया है कि शिक्षकों ने शिक्षा अधिकार कानून के अनुरूप काम करने की रणनीति तैयार की है। इसके लिए तय किया गया है कि शिक्षकों की अधिकारिता युक्त एक ऐसी कार्य परिषद बनाई जाए जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सभी प्रावधानों को लागू करने पर विचार करते हुए सर्व प्रथम ऐसा एफ एल एन तैयार करे जो शिक्षकों को व्यवहारिक रूप में बच्चों को सिखा पाने में सक्षम हो।
शिक्षकों की इस परिषद का नाम शिक्षकों की राज्य स्तरीय अकेडमिक परिषद (स्टेट लेवल अकेडेमिक काउंसिल ऑफ टीचर्स) होगा।
परिषद की परिकल्पना अनुसार यह परिषद किसी का विरोध न करते हुए विकल्प तैयार करने का प्रयास करेगी। चूंकि अभी शिक्षकों पर सभी अकादमिक निर्णय भी आदेश के रूप में लागू किए जा रहे हैं इसलिए सभी शैक्षिक कार्यक्रम अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। प्रदेश में शिक्षकों द्वारा की जा रही यह पहल यदि परिणाम प्राप्त करने में सक्षम हो जाती है तो यह शिक्षा में सुधार के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है। उम्मीद की जा रही है कि इस प्रयास को सभी का सहयोग मिलेगा।
( लेखक NCERT के सदस्य रहे हैं )