नई दिल्ली। दैनिक जीवन में स्मार्टफोन और उसके कैमरे का इस्तेमाल हम लगभग रोजाना करते हैं। फेसबुक पोस्ट हो या इंस्टाग्राम के लिए ली गई तस्वीर अब हम सबकुछ अपने स्मार्टफोन से ही करते हैं। यही वजह है कि जब हम नया फोन लेने जाते हैं तो कैमरे का मेगापिक्सल चेक करना नहीं भूलते। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि जिन कैमरे से आप खूबसूरत फोटोज क्लिक करते हैं, उन खूबसूरत तस्वीरों को कैमरे से पहले हमारी आंखें देखती हैं। तो आंखों का मेगापिक्सेल कितना होगा? आइए जानते हैं।
आंखों और कैमरे में ज्यादा अंतर नहीं है
आंखों और कैमरे में ज्यादा अंतर नहीं है। आपने साइंस में जरूर पढ़ा होगा कि जब प्रकाश किसी वस्तु से टकराकर हमारी आंखों की रेटिना पर पड़ता है तो उस वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनता है। रेटिना पर बनने वाला प्रतिबिम्ब संवेदनाओं द्वारा हमारी मस्तिष्क तक पहुंचता है। जिससे हमें पता चलता है की हम कौन-सी वस्तु देख पा रहे हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने कैमरे का भी अविष्कार किया था।
रेटिना की जगह कैमरे में लेंस काम करता है
कैमरे में रेटिना की जगह लेंस काम करता है। मतलब किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब कैमरे की लेंस पर बनता है। मान लीजिए अगर आपकी आंखे कैमरे के समान है तो आपके मन में सवाल आएगा की इसका मेगापिक्सेल कितना होगा।
आंखों के मेगापिक्सल कितनी है?
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो एक शोध में पाया गया कि एक साधारण व्यक्ति की आंखों में 24X24 हजार पिक्सेल होते हैं जो 576 मेगापिक्सल के बराबर होते हैं। देखा जाए तो आसान शब्दों में व्यक्ति की दोनों आंखें मिलकर हमारे आस-पास की सभी चीजों की छवि हमारे मस्तिष्क तक पहुंचाती है वो कुल मिलकर 576 मेगापिक्सल के बराबर होता है। तो अब आपके इस सवाल का जवाब भी मिल गया होगा की आप कैमरे के साथ-साथ अपने आंखों के मेगापिक्सल कितनी है।