Diwali 2023: भारत के सबसे प्रमुख त्योहार में से एक दिवाली को लेकर भारत के हर कोने में तैयारियां शुरु हो गई है. रोशनी का त्योहार दिवाली का आगाज हो चुका है.
बता दें की भारत के पवित्र शहर वाराणसी में देव दिवाली का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार को आप और खास बनाने के लिए वाराणसी जा सकते हैं .
क्यों कहा जाता है इसे देव दिवाली ?
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था. यह घटना कार्तिक मास की पूर्णिमा को हुई थी. त्रिपुरासुर के वध की खुशी में देवताओं ने काशी में अनेकों दीये जलाए. यही कारण है कि हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा पर आज भी वाराणसी में दिवाली मनाई जाती है. क्योंकि ये दिवाली देवों ने मनाई थी, इसीलिए इसे देव दिवाली कहा जाता है.
देव दिवाली के दिन क्या करें?
देव दिवाली के दिन गंगा नदी में स्नान किया जाता है. इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करना और कथा सुनना भी काफी फायदेमंद माना जाता है.
इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए एक दीया जरूर जलाना चाहिए.
देव दिवाली पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा नदी में स्नान करें अगर ऐसा संभव नहीं है तो पानी में गंगाजल डालकर स्नान किया जा सकता है. इसके बाद मंदिर की अच्छे से सफाई करें और भगवान शिव समेत सभी देवताओं का ध्यान करते हुए पूजा करें. इसके बाद शाम के समय किसी नदी के किनारे दीपदान करें.
देव दिवाली पर दीपदान का महत्व
पौराणिक मान्यता है कि देव दिवाली यानी कार्तिक पूर्णिमा के दिन वाराणसी के गंगा घाट पर स्नान करने के लिए पधारते हैं. मान्यता है कि जो कोई इस दिन प्रदोष काल में नदी में दीपदान करता है, उसे शत्रुओं का भय नहीं सताता है. इसके अलावा जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
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