हाइलाइट्स
- पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस के मंचों से बनाई दूरी
- सोशल मीडिया पोस्ट में बताईं मंच पर न बैठने की वजहें
- संगठन में समानता और अनुशासन लाने के उद्देश्य से लिया निर्णय
Digvijaya Singh Decision: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने अब पार्टी के मंचों पर न बैठने का फैसला किया है। जबलपुर में 31 मई को आयोजित “जयहिंद सभा” में वे मंच पर नहीं बैठे थे, अब उन्होंने सोशल मीडिया पर इस फैसले की सात वजहें साझा कीं। उन्होंने कहा कि यह फैसला केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि संगठनात्मक सोच का हिस्सा है, जिससे कार्यकर्ताओं को जमीन पर ज्यादा महत्व मिले।
कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रमों में मंच पर नहीं बैठने के निर्णय के संबंध में
-मेरा मंच पर न बैठने का निर्णय केवल व्यक्तिगत विनम्रता नहीं बल्कि संगठन को विचारधारात्मक रूप से सशक्त करने की सोच को लेकर उठाया गया कदम है। https://t.co/HVOrRsrjE8
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1/n— Digvijaya Singh (@digvijaya_28) June 6, 2025
दिग्विजय सिंह ने बताए मंच पर नहीं बैठने के कारण
दरअसल, जबलपुर में 31 मई को आयोजित कांग्रेस की जयहिंद सभा में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस से राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मंच पर बैठने से साफ इनकार कर दिया। मंच पर मौजूद अन्य नेताओं के आग्रह के बावजूद वे नीचे ही बैठे रहे। जबलपुर से विधायक लखन घनघोरिया पैर छूकर दिग्विजय सिंह को मंच पर बैठने का आग्रह करते रहे। लेकिन, वे नहीं माने। अब उन्होंने दिग्विजय सिंह ने मंच पर न बैठने के पीछे के कारण फेसबुक पोस्ट में साझा किए, जो अब कांग्रेस के अंदर एक नई कार्यशैली की ओर इशारा कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर बताए मंच से दूरी के कारण
दिग्विजय सिंह ने फेसबुक पर पोस्ट के माध्यम से इस फैसले की वजहें बताईं। उन्होंने लिखा…
- कांग्रेस को कार्यकर्ताओं के बीच रहना चाहिए, मंच से दूरी इसी विचार का हिस्सा है।
- मेरा मंच पर न बैठने का निर्णय केवल व्यक्तिगत विनम्रता नहीं, बल्कि संगठन को विचारात्मक रूप से सशक्त करने की सोच को लेकर उठाया गया कदम है।
- यह निर्णय कांग्रेस की मूल विचारधारा, “समता, अनुशासन और सेवा” का प्रतीक है।
- मंच पर अनावश्यक भीड़ से अव्यवस्था होती है, कई बार सच्चे कार्यकर्ताओं को मंच नहीं मिलता जबकि समर्थक नेता मंच घेर लेते हैं।
- संगठनात्मक अनुशासन और समानता के लिए यह निर्णय आवश्यक है।
- यह फैसला मेरी व्यक्तिगत विनम्रता नहीं, बल्कि कांग्रेस की मूल विचारधारा का प्रतिबिंब है।
- दिग्विजय सिंह ने लिखा- यह निर्णय मेरे लिए नया नहीं, महात्मा गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी जैसे बड़े नेता भी इस परंपरा का पालन कर चुके हैं। उन्होंने इसको लेकर फोटो भी शेयर कीं।
- कांग्रेस का काम करते हुए कार्यकर्ताओं को नया विश्वास और हौसला चाहिए। इसके लिए संगठन में जितनी सादगी होगी उतनी सुदृढ़ता आएगी।
कार्यकर्ताओं को जोड़ने का प्रयास
दिग्विजय सिंह ने यह भी कहा कि मंच टूटने जैसी घटना और नेता समर्थकों के मंच पर कब्जे कर लेने को देखते हुए यह फैसला लिया है। कार्यकर्ताओं को विश्वास और हौसला देने के लिए नेताओं को उनके बीच रहना चाहिए, न कि मंच पर बैठकर दूरी बनानी चाहिए। यह फैसला संगठन में लोकतांत्रिक मूल्यों को और मजबूत करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि मंच पर बेवजह भीड़ हो जाती है, अव्यवस्था फैलती है। जिन्हें मंच मिलना चाहिए उन्हें नहीं मिलता।
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पहले भी मंच पर नहीं बैठे थे दिग्विजय सिंह
यह पहला मौका नहीं है जब दिग्विजय सिंह मंच से दूर रहे। हाल ही में भोपाल में राहुल गांधी के दौरे और जबलपुर की एक रैली में भी वे मंच से अलग रहे। यह अब उनका स्थायी निर्णय बनता जा रहा है।
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