Digvijay Singh Lost: लोकसभा चुनाव 2024 में राजगढ़ सीट पर बीजेपी ने बाजी मारी है. कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को बीजेपी के रोडमल नागर ने1 लाख 46 हजार 89 वोटों से हरा दिया है. रोडमल नागर तीसरी बार राजगढ़ से सांसद बने हैं. पूर्व सीएम और कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के कारण यह सीट पूरे लोकसभा चुनाव के दौरान चर्चा का विषय बनी रही. राजगढ़ सीट पर एमपी के तीसरे चरण में 7 मई को वोटिंग हुई थी. इस सीट पर कुल 76.04% मतदान हुआ था.
तीसरी बार सांसद बनेगें नागर
दिग्विजय सिंह के खिलाफ बीजेपी ने रोडमल नागर को टिकट दिया था. यह लगातार तीसरी बार है जब बीजेपी के रोडमल नागर ने चुनाव जीता है. राजगढ़ सीट से तीसरी बार नागर सांसद बनने जा रहे हैं. रोडमल नागर राजगढ़ से 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं.
दिग्विजय सिंह का आखरी चुनाव
दिग्विजय सिंह इस लोकसभा चुनाव में प्रचार करते हुए यह बता चुके हैं कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा. हालांकि वे अपने आखिरी चुनाव में भी उन्हें जीत हासिल नहीं हुई. वे इस सीट से 33 साल बाद चुनाव लड़ रहे हैं। वे यहां से दो बार सांसद चुने गए हैं, जिसके बाद वे 1993 में मुख्यमंत्री बने थे और राजगढ़ सीट से इस्तीफा दे दिया था.
राजगढ़ सीट का इतिहास
साल 1962 में यहां पर हुए पहले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार भानुप्रकाश सिंह को जीत मिली. उन्होंने कांग्रेस के लिलाधर जोशी को हराया था. कांग्रेस को इस सीट पर पहली बार जीत 1984 में मिली, जब दिग्विजय सिंह ने बीजेपी के जमनालाल को मात दी थी.
2019 का जनादेश
बीजेपी के रोडमल नागर को 8,23,824 वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस की मोना सुस्तानी को 3,92,805 वोट मिले नोटा को जनता ने 10,375 वोट दिए. 2014 के जनादेश में 2014 के चुनाव में बीजेपी के रोडमल नागर ने कांग्रेस अंलाबे नारायण सिंह को हराया था. इस चुनाव में नागर को 5,96,727(59.04 फीसदी) वोट मिले थे और अंलाबे नारायण को 3,67,990(36.41 फीसदी) वोट मिले थे. दोनों के बीच हार जीत का अंतर 2,28,737 वोटों का था. तीसरे स्थान पर बसपा रही थी. उसको 1.37 फीसदी वोट मिले थे.
2019 में भोपाल से भी हारे थे दिग्विजय सिंह
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने पूरे प्रदेश की सबसे अहम सीट से दिग्विजय सिंह को टिकट दिया था. पार्टी ने उन्हें राजधानी भोपाल से चुनावी मैदान में उतारा था. वहीं बीजेपी ने उनके सामने कट्टर हिंदूवादी छवि वाली और ताजा-ताजा राजनीति में आई साध्वी प्रज्ञा को टिकट दिया था. भोपाल लोकसभा सीट से साध्वी प्रज्ञा की छवि और मोदी लहर की वजह से पलड़ा बीजेपी की ओर झुक गया. यहां साध्वी को भारी-भरकम जीत मिली थी.
राजगढ़ सीट का इतिहास
1952 में यहां पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ. तब से अब तक हुए आम चुनावों में कांग्रेस ने इस सीट से 9 बार, जनसंघ-भाजपा ने 6 बार, जनता पार्टी ने दो बार और निर्दलीय उम्मीदवार ने भी 1 एक बार सीट जीती है. राजगढ़ लोकसभा के अंतर्गत 8 विधानसभा आती हैं. ये सीटें हैं चचौरा, राघवगढ़, नरसिंहगढ़, ब्यावरा, राजगढ़, खिलचीपुर, सुसनेर और सारंगपुर. दिग्विजय सिंह राघवगढ़ राजपरिवार से आते हैं. इनमें 6 सीटों पर BJP काबिज है, जबकि 2 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. राघवगढ़ राजपरिवार 8 बार लोकसभा चुनाव जीत चुका है. दिग्विजय सिंह ने 2003 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद चुनावी राजनीति से संन्यास ले लिया था.
राजगढ़ लोकसभा दिग्विजय सिंह का गढ़ माना जाता है, क्योंकि 1984 ,1991 में स्वयं दिग्विजय सिंह लोकसभा चुनाव जीत कर देश की संसद पहुंच चुके हैं. जब 1993 में दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाये गए, तो 1994 के लोकसभा उपचुनाव में उनके भाई लक्ष्मण सिंह राजगढ़ लोकसभा का प्रतिनिध्त्वि कर चुके हैं और 1996, 1998, 1999 के लोकसभा चुनाव जीतकर लक्ष्मण सिंह कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिध्त्वि कर चुके हैं. साथ ही, 2004 में BJP प्रत्याशी के तौर पर लक्ष्मण सिंह इसी सीट का प्रतिनिध्त्वि कर चुके हैं. लेकिन 2009 के आम चुनावो में लक्ष्मण सिंह BJP प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस प्रत्याशी नारायण सिंह अम्बाले से करारी शिकस्त खा चुके हैं. 2014 , 2019 में BJP के रोडमल नागर से कांग्रेस करारी शिकस्त खा चुके हैं, लेकिन ये सीट कांग्रेस के लिए मजबूत मानी जाती है, क्योंकि यहां कांग्रेस अभी तक 8 आम लोकसभा चुनाव व एक लोकसभा उपचुनाव जीत चुकी है.