हाइलाइट्स
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ग्वालियर की महिला मेडिकल अफसर 22 दिन तक रहीं डिजिटली अरेस्ट
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जब लूट-पिट गई तक पति को बताया, फिर साइबर क्राइम में शिकायत की
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इस तरह की ठगी में आरोपी सीबीआई, पुलिस का हवाला देकर डराते हैं
Digital House Arrest: जैसे-जैसे दुनिया डिजिटल हो रही है ऑनलाइन धोखा के तरीके में भी तेजी से बदल रहे हैं।
इसी क्रम स्कैमर्स ने ठगी का एक नया तरीका डिजिटल हाउस अरेस्ट निकाला है। ऐसा ही एक मामला हाल ही में ग्वालियर में सामने आया है।
जिसमें एक महिला मेडिकल ऑफिसर को डिजिटल अरेस्ट (Digital House Arrest) कर 38 लाख रुपए ठग लिए गए हैं।
यहां हम आपको इस नए तरीके के साइबर क्राइम और इससे (Digital House Arrest) बचने के उपाय के बारे में भी डिटेल में बता रहे हैं।
क्या है डिजिटल हाउस अरेस्ट (Digital House Arrest) ?
डिजिटल हाउस अरेस्ट (Digital House Arrest) साइबर क्राइम का नया तरीका है। इसमें स्कैमर्स पीड़ित को कॉल या वीडियो कॉल करते हैं और बंधक बना लेते हैं।
स्कैमर्स एक ऐसा सेटअप बना लेते हैं, जिसमें लगता है कि वे पुलिस स्टेशन से बात कर रहे हैं।
साइबर अपराधी पीड़ित को कॉल करके कहते हैं कि आपके फोन नंबर, आधार, बैंक अकाउंट से गलत काम हुए हैं। वे गिरफ्तारी का डर दिखाकर पीड़ित को घर पर ही कैद कर लते हैं।
उन्हें पैसे देने के लिए मजबूर कर देते हैं।
ग्वालियर में डिजिटल अरेस्ट कर महिला मेडिकल अफसर से हुई बड़ी ठगी
ग्वालियर के हालिया मामले से हम इस स्कैम (Digital House Arrest) के तरीके को समझ सकते हैं।
ग्वालियर की महिला मेडिकल अफसर डॉ. सुजाता बापट के पास कॉल आया है कि म्यामांर में आंख और कान निकालने वालों ने आपके खाते में 3.80 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए हैं।
साथ ही आपके नाम से एक पार्सल है, जिसमें कई पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड और ड्रग्स हैं।
इस पार्सल को भी म्यांमार से भेजा गया है। इन अनैतिक कार्यों में आपका नाम है। इस नाम पर महिला को डराया-धमकाया गया।
सीबीआई और पुलिस का भय दिखाया
डॉ. सुजाता बापट ठगों से कहती रहीं कि इन चीजों से उनका कोई लेना देना नहीं है।
वह खुद को निर्दोष बताती रहीं। इस दौरान ठगों ने उन्हें पुलिस थाना और सीबीआई का भय दिखाया। फिर अरेस्ट वारंट और असेट सीज का ऑर्डर दिखाया।
साथ ही इसके दस्तावेज महिला के व्हाट्सएप पर भेजे। इसके बाद महिला काफी डर गई।
साथ ही ठग महिला को बार-बार चेता रहे थे कि इसकी जानकारी आप किसी को नहीं (Digital House Arrest) देंगे।
ठग लिए 38 लाख रुपए
ठगों ने महिला को डराकर झांसे (Digital House Arrest) में लिए। इसके बाद पैसों की मांग करने लगे।
ठगों ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद आपके रुपए लौटा दिए जाएंगे। महिला ने 10 अप्रैल को अलग-अलग एफडी तोड़कर ठगों को कुल 35 लाख रुपए दे दिए।
इसके बाद वह करीब 22 दिनों तक डिजिटली कैद रही है। इस दौरान आरोपियों ने 26 अप्रैल को महिला को राहत मिलने की बात कही है।
साथ ही खाते से उस दिन 3 लाख रुपए और ट्रांसफर करवा लिए। कुल मिलाकर महिला से आरोपियों ने 38 लाख रुपए की ठगी कर ली।
महिला ने पति से बात कराई तो ठगी का पता चला
महिला 22 दिन तक चुप रहने के बाद एक मई को घटना की जानकारी पति को दी। साथ ही आरोपियों से अपने पति की बात कराई।
पति ने ठग से बातचीत के दौरान कहा कि सीबीआई अफसर अजय यादव से बात कराएं। इसके बाद ठगों ने जवाब दिया कि आपके साथ स्कैम हो गया।
अब आप इस टेलीग्राम ग्रुप से बाहर हो जाइए। साइबर थाने में जाकर शिकायत दर्ज कराइए। इसके बाद पति-पत्नी गुरुवार, 2 मई को साइबर थाने पहुंचे और शिकायत कराई।
ग्वालियर में एक महीने में ठगी की दूसरी घटना
ग्वालियर में एक महीने में डिजिटली ठगी की दूसरी घटना है।एक महीने पहले ग्वालियर की रिटायर्ड टीचर आशा भटनागर (72) को ब्लैकमेल कर 51 लाख रुपए ठग लिए गए थे।
हालांकि इस मामले में पुलिस ने आरोपी को भिलाई (छत्तीसगढ़) से गिरफ्तार कर लिया था।
घबराकर टीचर ने 51 लाख रुपए ट्रांसफर किए
आरोपी कुणाल जायसवाल ने पिछले महीने टीचर आशा भटनागर (72) को कॉल कर कहा था कि आपके नाम की सिम से बच्चियों को अश्लील मैसेज भेजे गए हैं।
उसने ED और CBI रेड का डर दिखाया। घबराई टीचर ने उसके बताए बैंक अकाउंट में 51 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए।
ठगी की रकम में से 9.50 लाख रुपए (42 हजार दिरहम) UAE के खाते में ट्रांसफर किए थे।
इसी खाते के आधार पर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
इस तरह के साइबर क्राइस से कैसे बचें ?
किसी भी तरह के साइबर फ्रॉड से बचने के लिए आपको हमेशा सावधान और सतर्क रहना चाहिए।
यहां हम आपको साथ कुछ ऐसे उपायों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिनसे आप इस तरह के स्कैम से बच सकते हैं।
सतर्क और सावधान: कभी भी अगर आप इस तरह के कॉल रिसीव करते हैं तो सबसे पहले आपको सावधान रहने की जरूरत है।
इसके साथ ही ऑनलाइन स्कैम और फ्रॉड के तरीकों की जानकारी रखें।
आपको यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि सरकार, बैंक या फिर कोई भी जांच एजेंसी कॉल पर आपको डरा या धमका नहीं सकती है।
आप कॉल काट कर उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करवा दें।
पहचान वेरिफाई जरूर करें
किसी को भी कॉल पर पर्सनल या फाइनेंशियल डिटेल जैसी जानकारी बिलकुल भी शेयर ना करें।
अगर इस तरह की जानकारी आपको भेजनी भी पड़ी तो पहले उस कॉलर की पहचान जरूरी तौर पर वेरिफाई कर लें।
जैसा कि हम पहले भी आपको बता चुके हैं कि बैंक या कोई ऑफिशियल संस्था आपसे फोन पर पिन या आपसे जुड़ी निजी जानकारी नहीं पूछती है।
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संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करें
अगर आपके पास किसी भी तरह से स्कैमर्स की कॉल या मैसेज आते हैं तो इन्हें रिपोर्ट करें।
इसके साथ ही अगर आपके बैंक अकाउंट में कुछ भी संदिग्ध अगर आपको लगता हैं तो इसकी भी शिकायत करें।
स्कैम कॉल या मैसेज को रिपोर्ट करने के लिए आप सरकारी पोर्टल चक्षु (Chakshu Portal) का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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अपने डिवाइस और अकाउंट को रखें सेफ
ऑनलाइन स्कैम या डिजिटल धोखाधड़ी से बचने के लिए आपको अपने सभी अकाउंट ( बैंक से लेकर सोशल मीडिया और ईमेल ) को सेफ रखना आवश्यक है।
अपने सभी पासवर्ड और पिन समय-समय पर अपडेट करते रहें और उन्हें मजूबत बनाने की कोशिश करें।
इसके साथ अकाउंट की सेफ्टी के लिए 2-फैक्टर ऑथन्टिकेशन जरूर इनेबल रखें। इसके साथ ही अपने सभी डिवाइस को लेटेस्ट सॉफ्टवेयर के साथ अपडेट रखें।