Diesel Crisis : देश की अर्थव्यवस्था में डीजल का सबसे बड़ा योगदान होता है, क्योंकि डीजल से चलने वाले वाहन जैसे की ट्रक, जहाज, बसें अन्य वाहन समेत सबसे प्रमुख कृषि क्षे में उपयोग किया जाता है। इतना ही नहीं ठंड़े विदेशों में तो घरों को गर्म करने के लिए डीजल का इस्तेमाल होता है। ऐसे में अगर डीजल की किल्लत हो जाए तो क्या होगा। यह सोचने वाली बात है। लेकिन आपको बता दें कि पूरी दुनिया में डीजल का संकट पैदा हो सकता है?
खबरों के अनुसार आने वाले महीनों में डीजल की सप्लाई में कमी आ सकती है। ऐसे में डीजल की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है। जिसका अंदाजा लगाना शायद मुश्किल है। एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में डीजल के दामों में बढ़ोतरी के चलते अर्थव्यवस्था पर करीब 100 अरब डॉलर का बोझ बढ़ने का अनुमान जताया गया है। वही नार्थवेस्ट यूरोप में भी स्टॉक की कमी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस पर लगाये गए आर्थिक प्रतिबंधों के अमल में आने के बाद मार्च 2023 में संकट और गहरा सकता है।
एबीपी न्यूज की एक खबर के अनुसार पुरी दुनिया में रिफाइनिंग कैपेसिटी में कमी आई है। क्रू़ड ऑयल की सप्लाई को लेकर भी दिक्कतें हैं। कोरोना महामारी के दौरान मांग घटने के बाद रिफाइनिंग कंपनियों ने कई कम मुनाफा देने वाले अपने कई प्लांट्स को बंद कर दिया। 2020 के बाद से अमेरिका की रिफाइनिंग कैपेसिटी एक मिलियन बैरल प्रति दिन कम हो गई है। तो यूरोप में शिपिंग डिसरप्शन और वर्कर्स के हड़ताल के चलते रिफाइनिंग पर असर पड़ा है। रूस से सप्लाई बंद होने के बाद दिक्कतें और बढ़ने वाली है। डीजल पर यूरोपीय देश सबसे ज्यादा निर्भर करते हैं। फरवरी में यूरोपियन यूनियन के रूस के समुद्री मार्ग से आने वाले डिलिवरी पर बैन अमल में आ जाएगा। लेकिन रूस से आने वाले सप्लाई का विकल्प नहीं ढूंढा गया तो यूरोपीय अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है।
डीजल के संकट से भारत और चीन की रिफाइनिंग कंपनियों को फायदा होगा जो महंगे रेट पर बेच सकेंगे। जबकि गरीब देशों के लिए डीजल खऱीदना मुश्किल हो सकता है। मसलन श्रीलंका को ईंधन खरीदने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। थाइलैंड ने डीजल पर टैक्स घटाया है तो वियतनाम सप्लाई बढ़ाने के लिए इंमरजेंसी कदम उठा रहा है।