हाइलाइट्स
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धार की भोजशाला का किया जाएगा ASI सर्वे
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5 सदस्यों की टीम 6 हफ्तों में सौंपेगी रिपोर्ट
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हिंदू पक्ष की याचिका पर हाईकोर्ट का फैसला
Dhar Bhojshala को लेकर एमपी हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने बड़ा फैसला सुनाया है. जिसके चलते अब ज्ञानवापी की तरह ही भोजशाला का भी ASI सर्वे किया जाएगा.
बता दें धार के मां सरस्वती मंदिर भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी.
कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फरवरी में फैसला सुरक्षित रख लिया था. मामले में आज हाईकोर्ट ने एएसआई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है.
ज्ञानवापी की तर्ज पर हो ASI सर्वे
हिंदू फ्रंट फार जस्टिस की ओर से दायर याचिका में मांग कई प्रमुख मांंग शामिल थीं. याचिका में मुसलमानों को भोजशाला में नमाज पढ़ने से रोकने की मांग की गई थी.
इसके साथ ही हिंदुओं को नियमित पूजा का अधिकार देने की भी बात की गई थी. कोर्ट ने शुरुआती तर्क सुनने के बाद मामले में राज्य शासन, केंद्र शासन समेत अन्य संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
हिंदू पक्ष ने याचिका में एक अंतरिम आवेदन प्रस्तुत कर मांग की थी कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को ज्ञानवापी की तर्ज पर धार की भोजशाला में सर्वे करना चाहिए.
1902 और 2003 में हुआ था सर्वे
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने हाईकोर्ट को बताया कि 1902 में और 2003 में भोजशाला का सर्वे हुआ था. जिसकी रिपोर्ट कोर्ट के रिकार्ड में भी है. नए सर्वे की जरूरत नहीं है.
वहीं मुस्लिम पक्ष ने भी सर्वे की जरूरत को नकारा है. मुस्लिम पक्ष ने 1902 और 2003 में हुए सर्वे के आधार पर ही ASI ने मुस्लिम पक्ष को शुक्रवार(जुम्मा) को नमाज का अधिकार दिया था. यह आदेश आज भी अस्तित्व में है.
हिंदू पक्ष को पूजा के अधिकार की मांग
हिंदू फ्रंट फार जस्टिस कि ओर से एडवोकेट हरिशंकर जैन और एडवोकेट विष्णुशंकर जैन ने मामले में पैरवी की. उन्होंने कोर्ट में पूर्व में हुए सर्वे का हवाला देते हुए कहा कि भोजशाला वाग्देवी का मंदिर है.
रिपोर्ट के साथ फोटोग्राफ भी हैं. इसमें भगवान विष्णु और कमल स्पष्ट नजर आ रहे हैं. सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर ही 2003 में आदेश जारी हुआ था.
हिंदुओं को यहां पूजा करने का पूरा अधिकार है. उन्हें पूजा का अधिकार देने से भोजशाला (Dhar Bhojshala) के धार्मिक चरित्र में कोई बदलाव नहीं होगा.
हाईकोर्ट का आदेश
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि विवादित भोजशला मंदिर (Dhar Bhojshala) और कमल मौला मस्जिद परिसर का सर्वे किया जाए. इसके साथ ही आसपास के 50 मीटर दायरे के क्षेत्र की भी जीपीएस तकनीक से वैज्ञानिक जांच और ASI सर्वे किया जाए.
जमीन की ऊपर-नीचे की दोनों सतहों की कार्बन डेटिंग पद्धति से जांच की जाए. जांच में दीवारों, स्तंभों, फर्शों, सतहों, ऊपर के शीर्ष, गर्भगृह हर जगह शामिल हो.
कोर्ट ने 5 सदस्यीय टीम को भोजशाला की प्रॉपर जांच करने की जिम्मेदारी दी है. इसके साथ ही ये कमेटी अगले 6 सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.
क्या है भोजशाला विवाद
धार की भोजशाला का विवाद सदियों पुराना है. हिंदू पक्ष का कहना है कि ये सरस्वती देवी का मंदिर है. मुस्लिमों ने इसकी पवित्रता भंग कर दी और यहां मौलाना कमालुद्दीन की मजार बना ली थी.
भोजशाला में आज भी संस्कृत में श्लोक और देवी-देवताओं के चित्र मौजूद हैं. भोजशाला में लगी वाग्देगी की मूर्ति को अंग्रेज अपने साथ लंदन ले गए थे.
हिंदू पक्ष ने याचिका में कहा कि नमाज के नाम पर भोजशाला के मुस्लिम अवशेष मिटाने का काम कर रहे हैं. याचिका में भोजशाला परिसर की खोदाई और वीडियोग्राफी कराने की मांग भी की गई.
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अबतक क्या हुआ
1995 में विवाद के बाद हिंदू पक्ष को मंगलवार के दिन पूजा करने और शुक्रवार के दिए मुस्लिमों को नमाज की परमिशन दी गई.
12 मई 1997 को प्रशासन ने भोजशाला में आम लोगों के प्रतिबंध को रोक दिया. यह प्रतिबंध 31 जुलाई 1997 तक लागू रहा.
इसके बाद हिंदू पक्ष को वसंत पंचमी और मुस्लिमों को शुक्रवार को नमाज की परमिशन दी गई.
6 फरवरी 1998 को पुरातत्व विभाग ने भोजशाला में नए आदेश तक सभी के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया.
2003 में फिर से मंगलवार को हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति दी गई इसके साथ ही पर्यटकों के लिए भी भोजशाला को खोल दिया गया.
भोजशाला का इतिहास
धार जिले की अधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक धार में परमार वंश के राजा भोज ने 1034 में सरस्वती सदन की स्थापना की थी. यह एक महाविद्यालय था, जो बाद में भोजशाला के नाम से विख्यात हुआ.
राजा भोज के शासनकाल में ही मां सरस्वती (वाग्देवी) की मूर्ति यहां स्थापित हुई थी. यह मूर्ति भी भोजशाला के पास मिली थी. 1880 में इसी मूर्ती को अंग्रेज अपने साथ लंदन ले गए थे.
1456 में महमूद खिलजी ने इसी को परिसर में मौलाना कमालुद्दीन के मकबरे और दरगाह का निर्माण किया था.