Dhanteras 2023: आज धनतेरस यानी धनत्रयोदशी का त्यौहार बनाया जा रहा है। इस दिन धन के देवता कुबेर की पूजा करने का विधान होता है।
बता दें कि इस दिन लोग बर्तन, गहनें और वाहन जैसी कई चीजों को खरीदारी करते हैं। साथ ही इस दिन से दिवाली की शुरूआत होती है।
आज हम इस लेख में भारत के सबसे प्राचीन कुबेर मंदिर के बारे में चर्चा करेंगे, जो देवभूमि उत्तराखंड में स्थित है।
उत्तराखंड के परजागेश्वर धाम के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर देश-विदेश तक मशहूर है, यहां प्रतिदिन हजारों लोगों भगवान कुबेर जी के दर्शन करने के लिए आते हैं।
इस पवित्र मंदिर में धनतेरस और दिवाली के दिन भक्तों का तांता लगा रहता है। जो भातर को छठा कुबेर मंदिर है और यहां एकमुख शिवलिंग में कुबेर भगवान विराजमान हैं।
ये है मंदिर की मान्यता
मान्यता है कि यहां सिर्फ अर्जी लगाने से भक्तों के सभी काम बन जाते हैं। यही कराण है कि जब भी किसी व्यक्ति को व्यापार में नुकसान होता है या फिर पैसों की कमी आ जाती है, तो वह व्यक्ति यहां अपनी अर्जी के लिए पहुंचते हैं और केगर्भगृह की मिट्टी ले जाकर अपनी तिजोरी में रखते है। जिससे कभी उन्हे धन की कमी नहीं होती है।
क्या है इतिहास?
परजागेश्वर धाम में स्थित कुबेर मंदिर का इतिहास काफी पुरान है। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में कराया गया था।
वहीं, कुछ अन्य लोगों का मानना है कि 7वीं शताब्दी से लेकर 14 वीं शताब्दी के बीच कत्यूरी राजवंश के दौरान इस मंदिर का निर्माण हुआ था
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