नई दिल्ली। इस वर्ष धनतेरस यानि Dhanteras 2022 छोटी दीपावली का त्योहार 22 अक्टूबर dhanvantari यानि शनिवार को मनाया जाएगा। आपको बता दें भारतीय परंपरा का पावन religion त्यौहार धन्वंतरी जयंती या धन त्रयोदशी निकट है। astrology चलिए पंडित अनिल पाण्डेय (8959594400)से जानते हैं कि धनतेरस का त्योहार क्यों मनाते हैं साथ ही इसके पीछे कौन सी कथाएं प्रचलित हैं।
पांच दिनी होता है त्योहार — Dhanteras 2022
दीपावली पांच पर्वों का समूह है जो कि धनतेरस से प्रारंभ होता है। धनतेरस को धनत्रयोदशी धन्वंतरी जयंती या यम त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस को मनाने के लिए के बारे में दो अलग-अलग कथाएं हैं।
पहली कथा — Dhanteras 2022 katha
पहली कथा के अनुसार इसी दिन समुंद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरी अमृत लेकर प्रकट हुए थे। यानि इस दिन मानव जाति को अमृत रूपी औषधि प्राप्त हुई थी। इस औषधि की एक बूंद ही व्यक्ति के मुख में जाने से व्यक्ति की कभी भी मृत्यु नहीं होती है। अगर हम आज के संदर्भ में बात करें एक ऐसी वैक्सीन की खोज हुई थी जिसके एक बूंद में मात्र से व्यक्ति को कभी कोई रोग नहीं हो सकता है।
दूसरी कथा — Dhanteras 2022 deepdan
दूसरी कथा के अनुसार यमदेव ने एक चर्चा के दौरान बताया है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को रात्रि के समय पूजन एवं दीपदान को विधि पूर्वक पूर्ण करने से अकाल मृत्यु से छुटकारा मिलता है। इसमें दीपक और पूजन का महत्व बताया गया है।
क्या है धन तेरस का वैज्ञानिक कारण — Dhanteras 2022 scientific resion
अगर हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो पंडित अनिल पांडे के अनुसार यम देव ने संभवत एक ऐसे तेल का आविष्कार किया था। जिसका दीप बनाकर प्रयोग करने से उस दीप की लौ से निकलने वाले गैस को ग्रहण करने से अकाल मृत्यु से व्यक्ति को छुटकारा मिलता था। अगर हम ध्यान दें तो इन दोनों कथाओं का संबंध व्यक्ति के स्वास्थ्य से है।
क्या है धनतेरस का ऋतुओं से संबंध — Dhanteras 2022
अगर हम इस त्योहार को सामान्य दृष्टिकोण से देखें तो हम पाते हैं कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तक वर्षा ऋतु समापन पर आ जाती है और इस दिन भी प्रकार की पूजा पाठ करने से तथा दीपक जलाने से विभिन्न प्रकार के कीट पतंगों का जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हैं नष्ट करने में हमें मदद मिलती है।
जैन समाज में क्या है इसका महत्व — Dhanteras 2022 in jain samaj
जैन आगम में धनतेरस को ‘धन्य तेरस’ या ‘ध्यान तेरस’ भी कहते हैं। भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे। तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुए दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुये। तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
अन्य कथाएं —
धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरी चूँकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर लोग धनियाँ के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं। धनतेरस के दिन चाँदी खरीदने की भी प्रथा है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी, गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं। आप सभी को यह जानकर प्रसन्नता होगी की धनतेरस को भारत सरकार ने राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मान्यता दी है।
क्या है धन तेरस का शुभ मुहूर्त — Dhanteras 2022 puja muhurat
जबलपुर के भुवन विजय पंचांग के अनुसार – Dhanteras 2022
त्रयोदशी 22 अक्टूबर को सायंकाल 4:04 से प्रारंभ हो रही है और अगले दिन अर्थात 23 तारीख को दिन के 4:35 तक रहेगी। इससे यह स्पष्ट है दीपदान हेतु समय 22 अक्टूबर को सायंकाल 4:04 के बाद ही प्रारंभ होगा।
उज्जैन के पुष्पांजलि पंचांग के अनुसार – Dhanteras 2022
त्रयोदशी 22 तारीख को सायंकाल 5:56 से प्रारंभ हो रही है जो अगले दिन 23 तारीख को सायंकाल 5:58 तक रहेगी। जबलपुर के समय के अनुसार 23 तारीख को 4:30 से 4: 33 रात्रि अंत तक भद्रा रहेगी। 22 तारीख को सायंकाल का मुहूर्त ही उपयुक्त है। धनतेरस की खरीदारी 22 तारीख को सायंकाल उज्जैन के समय के अनुसार सायंकाल 5:56 से 7:29 तक तथा इसके उपरांत रात्रि 9:03 से रात्रि के 25:46 अर्थात रात्रि 1:46 तक की जा सकती है। पूजन मुहूर्त की गणना निर्णय सिंधु ग्रंथ के अनुसार की गई है।
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