Dhamtari News: छत्तीसगढ़ में धमतरी के दुगली विकासखण्ड के कौहाबहरा में नगरी- सिहावा आंदोलन की सफलता पर जनसभा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध सोशलिस्ट, गांधीवादी चिंतक और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के संस्थापक रघु ठाकुर भी शामिल हुए।
उन्होंने सभा में अपने विचार रखे। इससे पहले ठाकुर ने स्मृति-फलक का विमोचन किया, जिसमें इस संघर्ष के साथियों के नाम अंकित किये गये हैं।
आंदोलन सफल होने में 73 साल लग गए: ठाकुर
उन्होंने बताया कि सिहावा में आदिवासियों के भूमि अधिकार को लेकर जो आंदोलन सन् 1952 में डा. राममनोहर लोहिया की पहल से शुरू हुआ था, उसे पूरी तरह सफल होने में 73 साल लग गये। देश में वन अधिकार अधिनियम इसी आंदोलन की देन है।
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वनग्रामों का पहला घोषणा पत्र इसी आंदोलन की देन: ठाकुर
वनग्रामों को राजस्व ग्राम जैसी सुविधाएं देने की शुरुआत 1990 के दशक में यहीं से हुई जिसका लाभ देश के लाखों आदिवासी गांवों को मिलना शुरू हुआ।
वनग्रामों का पहला घोषणा पत्र तो इसी आंदोलन की देन है ही, चारों ओर नक्सली हिंसा से घिरा यह क्षेत्र अहिंसा का टापू भी है। यहां के आदिवासियों ने अहिंसक संघर्ष के जरिए जिस धैर्य और संयम का परिचय दिया है, उसे देश के पाठ्यक्रमों में स्थान मिलना चाहिए।
लोहियावादियों की किसी से शत्रुता नहीं होती: ठाकुर
रघु ठाकुर ने कहा कि इस आंदोलन में पत्रकार मधुकर खेर, गोविन्दलाल वोरा, तत्कालीन मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का समर्थन व सहयोग रहा। सबके प्रति इस आंदोलन से जुड़े लोग कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। लोहियावादियों का सबके प्रति सकारात्मक भाव रहता है, किसी से शत्रुता नहीं होती।
आंदोलन की सफलता ने आदिवासियों के मन भूख जगाई: ठाकुर
रघु ठाकुर ने यह भी कहा कि नगरी-सिहावा आंदोलन की सफलता ने आदिवासियों के मन में अधिकारों को हासिल करने की भूख जगाई है, चाहे वह चिकित्सा का मौलिक अधिकार हो या गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का।
डॉ लोहिया कहते थे कि सड़कें सूनी हो जायेंगी तो संसद आवारा हो जायेगी। इसीलिए यहां के आदिवासी अपने आगामी कार्यक्रम के तहत फसल कटने के बाद अपने अधिकारों के लिए फिर राजधानी की ओर कूच करेंगे।
लोहिया के बाद रघु ठाकुर ने संभाली बागडोर
उन्होंने बताया कि भारत में दो ही आंदोलन सबसे लंबे चले। एक सीमांत गांधी का, दूसरा डॉ लोहिया का नगरी- सिहावा आंदोलन। आपको बता दें कि डॉ लोहिया के बाद सन् 1977 से नगरी सिहावा के आंदोलन की बागडोर रघु ठाकुर ने संभाली।
अठारह में से तेरह गांवों के आदिवासियों को तो 1990 के दशक में भूमि का अधिकार मिल गया था। लेकिन पांच गांवों का प्रकरण उलझ गया था, जिन्हें अब जाकर सफलता मिली है।
अपने अधिकारों के लिए इस अंचल की पांच पीढ़ियों ने निरंतर संघर्ष किया, रायपुर तक 120 किमी की पदयात्रा की, वहीं रघु ठाकुर ने अनशन भी किया, आदिवासियों ने जेल भरी, जार्ज फर्नांडीज और शरद यादव आदि नेताओं ने सांसद रहते हुए समर्थन में गिरफ्तारी दी।
कार्यक्रम में लोसपा छत्तीसगढ़ इकाई के कई सदस्य रहे मौजूद
साथ ही इस कार्यक्रम में लोसपा छत्तीसगढ़ इकाई के महामंत्री श्याम मनोहर सिंह ने कहा कि इतने लंबे आन्दोलन को अहिंसक ढंग से चलाने में रघु ठाकुर जी की भूमिका सर्वोपरि है। वहीं जयन्त सिंह तोमर ने कहा कि इस ऐतिहासिक आन्दोलन पर एक डॉक्यूमेंट्री बननी चाहिए।
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