नई दिल्ली। Devshayani Ekadashi 2023: 5 जून से शुरू हुआ आषाढ़ का महीना वैसे से तो कई मायनों में खास होता है। लेकिन इस दिन से भगवान विष्णु के निंद्रा लोक में जाने के कारण विवाह कार्यों (vivah muhurat 2023) पर रोक लग जाएगी। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए यह महीना उत्तम माना जाता है। देवशयनी एकादशी के बाद से चार महीने तक यानि चातुर्मास के लिए विवाह और शुभ कार्यों पर रोक लग जाएगी।
देवउठनी एकादशी से शरू होंगे विवाह
पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार 29 जून को देवशयनी एकादशी के बाद से विवाह कार्योें पर रोक लग जाएगी। इसके बाद सीधे 22 नवंबर को देवउठनी एकादशी (Devuathni Ekadashi 2023)से एक बार फिर विवाह कार्य शुरू हो जाएंगे। यानि अब चार महीने तक शहनाई नहीं बजेगी।
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इस दिन आएगी देवशयनी एकादशी -Devshayani Ekadashi 2023:
आषाढ़ महीने आने वाली एकादशी बहुत पवित्र मानी जाती है। इसे आषाढ़ी एकादशी या देवशयनी एकादशी भी कहते हैं। कई जगहों पर इसे हरिशयनी और पद्मनाभा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार देवशयनी एकादशी 29 जून, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी।
विधि विधान से होगी पूजा – Devshayani Ekadashi 2023:
भगवान विष्णु के शयन काल को देवशयनी एकादशी भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन से भगवान विष्णु चार मास के लिए क्षीरसागर में शयन करने चले जाते हैं, इसलिए यही कारण है कि इसे हरिशयनी एकादशी भी कहते हैं। इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है। देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु का शयन प्रारंभ होने से पहले पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है।
देवशयनी एकादशी पर इस तरह करें पूजा – Devshayani Ekadashi 2023:
देवशयनी एकादशी के दिन श्रद्धालु व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इस दिन प्रात:काल उठकर स्नान करना चाहिए. पूजा स्थल को साफ करने के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। अब भगवान का षोडशोपचार पूजन करें। भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, पीले फूल, पीला चंदन चढ़ाएं। उनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म सुशोभित करें। इसके बाद भगवान विष्णु को पान और सुपारी अर्पित करें। धूप, दीप और पुष्प चढ़ाकर आरती उतारें।
भगवान विष्णु के लिए देवशयनी का मंत्र – Devshayani Ekadashi 2023:
भगवान विष्णु का पूजन करने के बाद हो सके तो ब्राह्मणों को भोजन कराएं। अब खुद भोजन या फलाहार करने के बाद देवशयनी एकादशी पर रात्रि में भगवान विष्णु का भजन व स्तुति करें। खुद सोने से पहले भगवान को शयन कराना चाहिए. भगवान विष्णु के निम्न मंत्र का जाप करें।
‘सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्.
विबुद्धे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्..
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