सलकनपुर। Salkanpur Devi Lok Mahotsav: मध्यप्रदेश में उज्जैन महाकाल लोक के बाद अब सलकनपुर में मां विजयासेन का देवी लोक के लिए पादुका यात्रा 28 मई तक गांव-गांव जा रही है। 17 मई से शुरू हुई इस यात्रा का समापन दो दिन बाद होने जा रहा है। 29 मई को इसके बाद 30 मई को सीएम शिवराज देवी लोक का शिलान्यास करेंगे।
सीएम ने किया ट्वी
ट चलो बुलावा आया है…
सलकनपुर वाली मैया ने बुलाया है
मां विजयासन के धाम सलकनपुर में होने जा रही अद्भुत रचना
17 मई से शुरू हुई मैया की पादुका यात्रा 28 मई तक जा रही गांव-गांव
बरसती रहेगी मैया की कृपा, सभी काम बनेंगे।
बन रहा मां विजयासन का देवी लोक, हम जय जयकार करेंगे।।
29 मई से देवी लोक महोत्सव प्रारंभ
सलकनपुर में बनने वाले देवी लोक के लिए 28 मई तक पादुका यात्रा चलेगी। आपको बता दें सीहोर जिले के श्रीसलकनपुर धाम को देवी लोक ( Salkanpur Devi lok Mahotsav)के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसमें माता विजयासन के साथ देवी के सभी नौ रूपों के दर्शन होंगे। 29 मई से देवी लोक महोत्सव प्रारंभ होगा और 31 मई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान देवी लोक निर्माण के लिए भूमि-शिला पूजन करेंगे। इसी क्रम में निर्माण में जनसहयोग के लिए हर घर से शिला और ईंट लाई जा रही है। इसके लिए मुख्यमंत्री ने 16 मई मंगलवार को अपने आवास में आयोजित ग्राम और नगर समितियों के सम्मेलन में रथ रवाना किया था। ये रथ गांव-गांव जाकर शिला और ईंट एकत्रित कर रहे हैं।
बंजारों ने कराई थी मां सलकनपुर मंदिर की स्थापना
पौराणिक कथाओं के अनुसार करीब 300 साल से अधिक समय पहले बंजारों (Nomads) ने मां सलकनपुर मंदिर की स्थापना की थी। प्रचलित कथा के अनुसार करीब 300 साल पहले बंजारों की मनोकामना पूर्ण होने पर उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया था। कहते हैं पशु व्यापारी रहे बंजारे इस स्थान पर विश्राम और पशुओं के चारे के लिए इस स्थान पर रुके थे। एक बार उनके पशु अचानक अदृश्य हो गए। काफी खोजने के बाद भी बंजारों को अपने पशु नहीं मिले, ऐसे में एक बालिका वृद्ध बंजारे के सामने आई। बालिका के पूछने पर वृद्ध बंजारे ने सारी बात कही, तब बालिका ने कहा आप यहां देवी की पूजा अर्चना करें पशु मिल जाएंगे।
जिस स्थान पर फेंका पत्थर वहीं बनाया मंदिर
बंजारे ने बालिका से पूछा कि यहां देवी ( Salkanpur Devi Lok Mahotsav) का स्थान कहां है, हमें नहीं मालूम, जिस पर बालिका ने पत्थर फेंककर स्थान बताया था। इसके बाद जिस स्थान पर पत्थर फेंका गया था वहां मां देवी मिली थीं। जैसे ही यहां बंजारों ने माता की पूजा की, उनके पशु मिल गए। इसके बाद यहां बंजारों की मनोकामना पूरी होने पर देवी मां की स्थापना कर मंदिर का निर्माण कराया।
श्रीमद भागवत कथा के अनुसार
श्रीमद भागवत कथा के अनुसार जब रक्तबीज नामक दैत्य से त्रस्त होकर देवता देवी मां की शरण में पहुंचे तो देवी मां ने देवताओं की परेशानी दूर करने के लिए विकराल रूप धारण कर लिया। इसी स्थान पर माता ने देत्य का संहार किया। देवताओं ने मां को आसन दिया, यही आसन मां विजयासन धाम के नाम से विख्यात हुआ।
पहाड़ों पर बैठी है मां विजयासन
सीहोर जिले में आने वाला सलकनपुर ( Salkanpur Devi Lok Mahotsav) विजयासन धाम जमीन से एक हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। यहां पहले माता के दर्शन के लिए सीढ़ियों से जाना पड़ता था। जिसमें करीब 1400 से अधिक सीढ़ियां थीं, लेकिन अब यहां सड़क मार्ग और रोपवे के माध्यम से भी श्रद्धालु दर्शन करने के लिए जाते हैं। बता दें कि प्रसिद्ध देवीधाम सलकनपुर मंदिर राजधानी भोपाल से 70 किलोमीटर दूर सीहोर में हैं। नवरात्रि के समय नौ दिनों में देशभर से यहां लगभग दस लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
वायुमार्ग से भी पहुंच सकते हैं सलकनपुर
सड़क मार्ग के अलावा वायुमार्ग से श्रद्धालुओं को आने के लिए भोपाल एयरपोर्ट से 70 किलोमीटर का सफर तय करना होता है, जबकि रेल मार्ग के लिए बुदनी रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी महज 15 किलोमीटर है। सड़क मार्ग से राजधानी भोपाल से नसरुल्लागंज रोड होते हुए मंदिर तक पहुंचा जाता है।